भक्तों के लिए ओशो की समाधि के दर्शन पर रोक नहीं, रक्षा के लिए भी निर्देश

There is no restriction on the darshan of Oshos samadhi for the devotees - HC
भक्तों के लिए ओशो की समाधि के दर्शन पर रोक नहीं, रक्षा के लिए भी निर्देश
हाईकोर्ट भक्तों के लिए ओशो की समाधि के दर्शन पर रोक नहीं, रक्षा के लिए भी निर्देश

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में स्पष्ट किया है कि आध्यात्मिक गुरु ओशो की समाधि के दर्शन के लिए भक्तों पर कोई प्रतिबंध नहीं है। यहीं नहीं ओशो की समाधि की रक्षा व संरक्षण के लिए भी निर्देश दिए गए हैं। हाईकोर्ट ने यह बात योगेश ठक्कर उर्फ स्वामी प्रेम गीत की ओर से दायर आवेदन पर दिए गए आदेश में स्पष्ट की है। आवेदन में दावा किया था कि उन्हें ओशो ट्रस्ट के ट्रस्टियों की ओर से ओशो की पुणे स्थित समाधि पर जाने से रोक जा रहा है। इसके अलावा आवेदन में मांग की गई थी कि ओशो ट्रस्ट से जुड़ी चल व अचल संपत्ति में किसी तीसरे पक्ष के हित सृजित करने से रोका जाए। न्यायमूर्ति एसवी गंगापुरवाला व न्यायमूर्ति माधव जामदार की खंडपीठ के सामने आवेदन पर सुनवाई हुई। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि ओशो ट्रस्ट से जुड़ी संपत्ति पर किसी तीसरे पक्ष के हित सृजित करने पर पहले से रोक लगी हुई है। खंडपीठ ने कहा कि ट्रस्ट की जिस संपत्ति पर रोक नहीं लगी है उसके बारे में आवेदनकर्ता पुणे के संयुक्त धर्मादायुक्त को जानकारी दे सकते है। जिस पर निश्चित तौर पर संयुक्त धर्मादायुक्त विचार करेंगे। सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने पाया कि पहले से एक सूची तैयार है जिसमें ट्रस्ट की उन संपत्तियों का समावेश है। जिन पर तीसरे व्यक्ति के हित के सृजन पर रोक है। इसके मद्देनजर न तो ओशो ट्रस्ट के ट्रस्टी (प्रतिवादी) और न ही कोई दूसरा व्यक्ति कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना ट्रस्ट की चल व अचल संपत्ति पर तीसरे हित का सृजन कर सकता है। जहां तक बात ओशो की समाधि पर जाने की बात है तो यह स्पष्ट किया जाता है कि उसके दर्शन पर किसी भी भक्त व आवेदनकर्ता के जाने पर रोक नहीं है। लिहाजा आवेदनकर्ता व भक्त निश्चित तौर पर समाधि के दर्शन के लिए जा सकते है। आवेदनकर्ता ट्रस्ट की संपत्ति की जानकारी उस कमेटी को भी दे सकते है जो ट्रस्ट की संपत्ति की जांच कर रही है। जिस पर कमेटी व संयुक्त धर्मादायुक्त निश्चित तौर पर विचार करेंगे। आवेदन में मुकेश सारडा उर्फ स्वामी व मुकेश भराथी को प्रतिवादी बनाया गया है। प्रतिवादियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल साखरे ने पक्ष रखा। 


 

Created On :   21 Aug 2022 10:48 AM GMT

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