खतरा बरकरार : नागपुर में दो नए वेरिएंट के कारण तेजी से फैल रहा कोरोना वायरस

Threat remains: Corona virus spreading rapidly due to two new variants in Nagpur
खतरा बरकरार : नागपुर में दो नए वेरिएंट के कारण तेजी से फैल रहा कोरोना वायरस
खतरा बरकरार : नागपुर में दो नए वेरिएंट के कारण तेजी से फैल रहा कोरोना वायरस

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  नागपुर शहर और जिले में तेजी से फैल रहे कोरोना संक्रमण से प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है। इसके तेजी से फैलने की वजह अब तक समझ में नहीं आ रही थी। फिलहाल आईसीएमआर की रिपोर्ट ने इसका खुलासा करने और  स्थिति को कुछ स्पष्ट करने की कोशिश की है। पालकमंत्री डॉ. नितीन राऊत ने  बताया कि आईसीएमआर ने जो रिपोर्ट दी है, उसमें कहा है कि नागपुर में दो नए तरह के वेरिएंट मिले हैं। पहला N501Y और दूसरा L452R है। दोनों ही पहले से अलग तरीके के हैं, जो तेजी से ज्यादा लोगों को संक्रमित करते हैं। दोनों वेरिएंट से सावधान करते हुए आईसीएमआर ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि यह संक्रमण को तेजी से फैलाते हैं और इम्यून सिस्टम को कमजोर करते हैं। पहले लक्षण आने में सप्ताह या उससे अधिक समय लगता था, अब 3 से 4 दिन में लक्षण दिखाई देते हैं। हालांकि आईसीएमआर ने इस वेरिएंट से निपटने के नए उपाययोजना या नए मेडिकल ट्रीटमेंट नहीं बताए हैं। ऐसे में स्वास्थ्य प्रशासन पुराने दिशा-निर्देश पर ही नए वेरिएंट के मरीजों का उपचार कर रहा है। 

फरवरी में भेजे थे सैंपल, अभी मिली रिपोर्ट 
फरवरी 2021 में मरीजों की संख्या में धीरे-धीरे इजाफा होने के बाद फरवरी में 74 सैंपल आईसीएमआर को भेजे गए थे, ताकि पता लगाया जा सके कि वायरस में किस तरह के बदलाव आए हैं। इस अनुसार आगे का उपचार कर सकें, लेकिन फरवरी में भेजे गए सैंपल की रिपोर्ट आईसीएमआर ने 7 अप्रैल को नागपुर को दी। रिपोर्ट तो दी, लेकिन नया मेडिकल ट्रीटमेंट या उपाययोजना की सूचना नहीं देने से मामला और फंस गया है। दो महीने विलंब से रिपोर्ट मिलने से नागपुर में बहुत कुछ दांव पर लग गया है। अब वह समय भी निकल गया कि वेरिएंट को समझकर उपचार कर सकें। अब यह स्थिति है कि जो मरीज आ रहे हैं, उन्हें किसी भी तरह से उपचार देकर ठीक करने का प्रयास किया जा रहा है।

हम कहते रह गए कि रिपोर्ट  जल्दी दें : पालकमंत्री 
आईसीएमआर की रिपोर्ट में नागपुर में दो नए तरह के वेरिएंट मिलने की पुष्टि करते हुए जिले के पालकमंत्री डॉ. नितीन राऊत ने कहा कि हम कहते रह गए कि रिपोर्ट जल्दी दी जाए, ताकि उपाय योजना करने में आसानी हो, लेकिन फरवरी की रिपोर्ट अप्रैल में मिलने से बहुत समय बर्बाद हो गया। इससे समझ में आ रहा है कि केंद्र सरकार बीमारी को लेकर गंभीर नहीं है। अगर फ्रंट लाइन वर्कर के रूप में डॉक्टर या नर्सों का वैक्सीनेशन नहीं किया जाता, तो आज यह स्टाफ संक्रमित रहता और अस्पतालों में इलाज करने के लिए स्टाफ नहीं मिलता। अब सरकार ने फ्रंट लाइन वर्कर से इन्हें हटा दिया। वैक्सीन का टोटा बना हुआ है। कोविशील्ड ने चार स्थानों पर प्लांट लगाने की मंजूरी मांगी है, लेकिन केंद्र से अनुमति नहीं मिल रही। सरकार जान बचाने तक के लिए पैसा नहीं दे रही है। 
 

Created On :   16 April 2021 5:50 AM GMT

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