नागपुर शहर में बनेगा ट्रैफिक कंट्रोल ग्रीन कॉरिडोर

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आपातकाल में इस्तेमाल नागपुर शहर में बनेगा ट्रैफिक कंट्रोल ग्रीन कॉरिडोर

डिजिटल डेस्क, नागपुर । नए साल में संतरानगरी में ट्रैफिक कंट्रोल ग्रीन कॉरिडोर की शुरुआत हो जाएगी। इस कॉरिडोर का उपयोग आपातकालीन स्थिति में किया जाएगा। शहर पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार के अनुसार इसे स्मार्टसिटी परियोजना के अंतर्गत तैयार किया जाएगा। इसे एटीएमएस (ऑटोमेटिक ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम) प्रणाली के तहत शुरू किया जा सकेगा। पायलट प्रोजेक्ट का गत दिनों सफल परीक्षण किया गया। हाईडेफिनेशन सेंसर कैमरे लगाने पड़ेंगे : शहर में स्मार्टसिटी परियोजना के अंतर्गत 3500 से अधिक सीसीटीवी लगाए जा चुके हैं। कॉरिडोर  प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए चयनित चौराहों पर हाईडेफिनेशन सेंसर वाले कैमरे लगाने होंगे।

कहां रहता है कितना ट्रैफिक लोड
ऑटोमेटिक ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (एटीएमएस) को स्थापित करने में आने वाली दिक्कतों को चिह्नित किया जाएगा। ये दिक्कतें जिन विभागों से संबंधित होंगी, उनके साथ बैठक की जाएगी। पहले कमियों को दूर करेंगे, फिर आगे का कार्य शुरू होगा। साथ ही यह भी देखा जाएगा कि चौराहों पर कितनी जगह है, ट्रैफिक लोड कितना है।

प्रस्ताव मनपा को भेजा गया है
सारंग आवाड के अनुसार, पायलट प्रोजेक्ट परीक्षण के लिए 10 चौराहों को चुना गया था। इनमें जापानी गार्डन चौक, पदमश्री मोहम्मद रफी चौक, लेडीज क्लब चौक, लॉ कॉलेज चौक, लक्ष्मीभवन चौक, शंकरनगर चौक, बजाजनगर चौक, लक्ष्मीनगर चौक, आरेंज सिटी चौक शामिल था। जापानी गार्डन चौक से आरेंजसिटी चौक तक करीब 6.9 किमी. पहुंचने में पुलिस वाहन को करीब 13 मिनट का समय लगा। अनुमान है कि कॉरिडोर बन जाने के बाद कोई एंबुलेंस इस दूरी को महज 8 से 10 मिनट के अंदर तय कर पाएगी। परीक्षण के बाद प्रस्ताव मनपा के पास भेजा गया है।  इस कॉरिडोर का आपातकालीन समय में एम्बुलेंस, किसी दुर्घटना में घायलों के लिए, पुलिस वाहन, वीआईपी मूवमेंट व इमरजेंसी सेवा के लिए तत्काल उपयोग किया जा सकेगा। 

नियमों का उल्लंघन पड़ेगा महंगा
एटीएमएस के लागू होने के बाद लाल बत्ती का उल्लंघन, ऑटोमेटिक नंबर प्लेट का परीक्षण, हेलमेट न होना, दोपहिया वाहनों पर तीन सवारी के चालान स्वत: ही जनरेट होकर घर पहुंच जाएंगे। इसलिए अब शहर में ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन महंगा पड़ेगा। आपातकालीन कॉल इनबाक्स बनाए जाएंगे। कंट्रोल रूम से सीधे कनेक्टिविटी रहेगी। कंट्रोल रूम में नगर निगम और यातायात पुलिस के प्रशिक्षित कर्मचारी बैठकर पूरी व्यवस्था का संचालन करेंगे।

यह भी जानें
सूत्रों के अनुसार वर्ष 2016 में पुणे में पहली बार, रूबी हॉल क्लीनिक से मुंबई तक हार्ट और नाशिक से सह्याद्री अस्पताल तक लिवर को ले जाने के लिए बिना किसी बड़े यातायात व्यवधान के दो ग्रीन कॉरिडोर स्थापित किए गए थे। वर्ष 2018 में हैदराबाद पुलिस ने ग्रीन कॉरिडोर बनाया था, जिससे 7 मिनट में मरीज तक हार्ट पहुंचाया गया था। वर्ष 2018 में दिल्ली यातायात पुलिस द्वारा दिल्ली हवाई अड्डे से शहर के अस्पताल तक कटे हुए लिवर को ले जाने के लिए एक विशेष ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया था, जो केवल 11 मिनट में 13 किलोमीटर की दूरी तय कर पहुंचा था।   

अधिकारी अधिक व्यवस्थित तरीका चाहते हैं
वर्षों से चली आ रही यातायात प्रबंधन की नीतियां बदल गई हैं और अब हर अधिकारी सड़क पर चलने वालों की सुरक्षा पहलू की ओर विशेष ध्यान दे रहा है। मेरी तरह हर अधिकारी सड़क यातायात की निगरानी के लिए एक अधिक व्यवस्थित तरीका चाहते हैं। - अमितेशकुमार, पुलिस आयुक्त, नागपुर शहर

एक प्रभावी यातायात प्रबंधन प्रणाली जरूरी 
सड़कों पर वाहनों के प्रवाह को बढ़ाने और लोगों को पूर्ण सुरक्षा प्रदान करने के लिए, एक प्रभावी यातायात प्रबंधन प्रणाली की हमें आवश्यकता है।  वाहनों की लगातार बढ़ती संख्या के साथ, सड़क यातायात का प्रबंधन अब एक कठिन काम बन गया है।  - सारंग आवाड, उपायुक्त, शहर यातायात पुलिस विभाग, नागपुर 
 

Created On :   17 Dec 2021 5:40 AM GMT

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