RSS का दो दिवसीय मातृशक्ति सम्मलेन का उद्घाटन, रविवार को होगा समापन

Two-day Conference of Rashtriya Swayamsevak Sangh started
RSS का दो दिवसीय मातृशक्ति सम्मलेन का उद्घाटन, रविवार को होगा समापन
RSS का दो दिवसीय मातृशक्ति सम्मलेन का उद्घाटन, रविवार को होगा समापन

डिजिटल डेस्क, भोपाल। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का दो दिवसीय मातृशक्ति सम्मेलन का शुभारंभ शनिवार को किया गया। उद्घाटन सत्र को संबोधित करते अखिल भारतीय संपर्क अधिकारी अनिरुद्ध देशपांडे ने कहा कि भारत में महिलाओं को देखने की दृष्टि अलग है। हम महिला और पुरुष को अलग नहीं मानते। दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। समाज सिद्धांत व्यवस्था स्त्री और पुरुष के बिना संभव नहीं।

अनिरुद्ध देशपांडे ने कहा पुरुषों को अपना अहंकार छोड़ना होगा और उन्हें महिलाओं को बराबरी का अवसर देते समय इस भाव को भी छोड़ना होगा कि वह कोई उपकार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश की प्रगति में महिलाएं बहुत योगदान कर सकती हैं। मातृशक्ति समाज का सम्पूर्ण परिवर्तन करने में सक्षम है। इसलिए समाजजीवन में मातृशक्ति की सहभागिता बढ़नी चाहिए। इस अवसर पर आरएसएस के मध्य भारत प्रान्त के संघचालक सतीश पिम्पलीकर भी उपस्थित रहे। सम्मेलन का आयोजन बंसल महाविद्यालय में हो।रहा है। इसमें विभिन्न संगठनों की महिला कार्यकर्ता सम्मिलित हुई हैं।

"मातृशक्ति के सम्बंध में भारतीय एवं पश्चिम की दृष्टि" विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए देशपांडे ने कहा कि भारतीय संस्कृति में विवाह बहुत महत्वपूर्ण है। हम विवाह को कॉन्ट्रेक्ट नहीं मानते। उन्होंने कहा कि परिवारों के टूटने का कारण पश्चिम का अनुकरण है। हमें आधुनिक बनना है परंतु अपनी जड़ों से जुड़े रहना है। महिला-पुरुष के रिश्ते समझते हुए उन्होंने स्वामी विवेकानंद के विचार का उल्लेख किया। स्वामी विवेकानंद बताते थे कि पुरुष और स्त्री का रिश्ता पक्षी के दो पंखों की तरह होता है। यदि पक्षी का एक पंख खराब हो जाए तो वह उड़ नहीं सकता। उसको उड़ान भरने के लिए दोनों पंखों की आवश्यकता है। इसी तरह समाज को आगे बढ़ने के लिए स्त्री-पुरूष दोनों की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि पश्चिम के विचार में सिर्फ स्त्री मुक्ति की बात होती है। जबकि आवश्यकता स्त्री की प्रगति का विचार करने की है। इसके लिए शिक्षा में स्त्रियों का प्रतिशत बढ़ाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि हमें आधुनिकता का स्वागत करना है किंतु अपने संस्कारों और जड़ों से जुड़े रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह गलत बात है कि हम स्त्री-पुरुष की समानता की बात करते हैं तब उनकी तुलना करने लगते हैं।
 

Created On :   29 Sep 2018 7:28 PM GMT

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