अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे दो गोंडकालीन तालाब

विक्की गुप्ता , घुग्घुस (चंद्रपुर)। आज सर्वत्र विश्व जल संरक्षण दिवस मनाया जाएगा। दूसरी ओर प्रशासन, जनप्रतिनिधि की अनदेखी के कारण घुग्घुस के दो गोंडकालीन तालाब अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। अतिक्रमण और अनदेखी के चलते तालाब का क्षेत्र सिकुड़ रहा है। इसका असर घुग्घुस के जलस्तर पर भी हो रहा है। गौरतलब है कि, संपूर्ण देश ही नहीं संपूर्ण विश्व में 22 मार्च को विश्व जल संरक्षण दिवस मनाया जाता है। इसका प्रमुख उद्देश्य समाज में जल की आवश्यकता, उसके महत्व और जल संरक्षण के प्रति जागरूकता निर्माण करना था परंतु जलस्रोत लापरवाही, देखरेख के अभाव के कारण नष्ट हो रहे हैं। जिसका सीधा असर भूजल पर पड़ रहा है, जिससे दिन-ब-दिन भूजल घटता जा रहा है। लोगों द्वारा भूजल का उपयोग तो तेज गति से किया जा रहा है परंतु भूजल में पानी भरने या सिंचाई करने का कार्य मानो शून्य गति से हो रहा है। इस कारण कई जगह पर 400 से 500 फीट बोरवेल करने पर भी जल की एक बूंद भी नहीं मिल रही है। ऐसे में घुग्घुस परिसर में दो गोंडकालीन तालाब है जो छोटे व बड़े तालाब के नाम से जाने जाते हैं।
छोटा तालाब सन 1923 बंदोबस्त नक्शा के अनुसार सर्वे क्रमांक 149/148 तालाब की कुल सीमा 9 एकड़ 85 डेसिमल और बड़े तालाब की 1920 बंदोबस्त नक्शा के अनुसार सर्वे क्रमांक 93/94 तालाब की कुल सीमा 23 एकड़ 60 डेसिमल थी। इसमें कम से कम 5 फीट से ज्यादा गहरा पानी उपलब्ध रहता था। दोनों तालाबों में मच्छी पालन, सिंघाड़े के फल, पशुओं के लिए पानी, खेती व निर्माणकार्य के अनेक कार्य किए जाते थे परंतु अतिक्रमण, लापरवाही, देखरेख के अभाव के कारण दोनों तालाबों की सीमा आधे से भी कम हो गई है। छोटा तालाब तो मानो लुप्त होने की कगार पर है। तालाब में गंदा पानी, गंदगी डालने के कारण अत्यंत खराब हो चुका है। इस कारण परिसर में बदबू आती रहती है। तालाब के किनारों में लोगों द्वारा नागरिकों के विरोध के बाद भी गंदगी फैलाई जाती हैै। सामाजिक कार्यकर्ता, नेता और नागरिकों द्वारा तालाब का सौंदर्यीकरण, गहराईकरण करने की मांग की गई लेकिन संबंधित विभाग द्वारा लापरवाही के कारण दोनों तालाबों की हालत अत्याधिक खराब होती जा रही है, जिसका सीधा असर घुग्घुस के भूजल पर पड़ रहा है।
Created On :   22 March 2023 3:16 PM IST











