रिश्वतखोर आरक्षक को 4 साल की सजा, 3 हजार रुपए का अर्थदंड भी

Vivek Sahu posted in Shahpura police station, was sentenced to 4 years in jail
रिश्वतखोर आरक्षक को 4 साल की सजा, 3 हजार रुपए का अर्थदंड भी
रिश्वतखोर आरक्षक को 4 साल की सजा, 3 हजार रुपए का अर्थदंड भी

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। लोकायुक्त के विशेष न्यायाधीश ने दो हजार रुपए रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़े गए शहपुरा थाने में पदस्थ आरक्षक विवेक साहू को 4 साल की सजा सुनाई है। न्यायालय ने आरोपी पर 3 हजार रुपए अर्थदंड भी लगाया है। अभियोजन के अनुसार शहपुरा निवासी देवी सिंह राजपूत ने 3 जुलाई 2015 को लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक को शिकायत दी कि उसके खिलाफ न्यायालय से गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया था। गिरफ्तारी वारंट में गिरफ्तार करने की धमकी देकर शहपुरा थाने में पदस्थ आरक्षक विवेक साहू द्वारा उससे रिश्वत की मांग की जा रही है। आरक्षक विवेक साहू उससे तीन हजार रुपए ले चुका है, उससे दो हजार रुपए रिश्वत की और मांग की जा रही है। लोकायुक्त की टीम ने 3 जुलाई 2015 को शहपुरा के अम्बे पान भंडार के पास देवी सिंह राजपूत से दो हजार रुपए की रिश्वत लेते आरक्षक विवेक साहू को गिरफ्तार किया। आरक्षक ने रिश्वत के दो हजार रुपए लेकर पेंट की जेब में रख लिए थे। सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता पक्षद्रोही हो गया। विशेष लोक अभियोजक प्रशांत शुक्ला ने तर्क दिया कि शिकायतकर्ता ने अपने मूल बयान में कहा था कि आरक्षक ने उससे रिश्वत मांगी थी, लेकिन बाद में शिकायतकर्ता अपने बयान से पलट गया। सुनवाई के बाद न्यायालय ने आरोपी को 4 साल की सजा और 3 हजार रुपए अर्थदंड से दंडित किया है।

सेल्समैन और सहायक लिपिक को 4-4 साल की सजा
लोकायुक्त के विशेष न्यायाधीश ने धान को रिकॉर्ड पर चढ़ाने के लिए दो हजार रुपए रिश्वत मांगने वाले सहकारी साख समिति बरगी मोहला के तत्कालीन सेल्समैन हेमराज उरमलिया और बचत बैंक सहकारी साख समिति बरगी के तत्कालीन सहायक लिपिक चंद्रिका प्रसाद परोहा को 4-4  साल की सजा सुनाई है। न्यायालय ने आरोपियों पर 4-4 हजार रुपए अर्थदंड भी लगाया है।
अभियोजन के अनुसार ग्राम छपरा तहसील मझौली निवासी परसराम उपाध्याय ने 24 जनवरी 2015 को लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक को शिकायत दी कि उसकी 70 क्विंटल 60 किलो धान की तुलाई सहकारी साख समिति मोहला में की गई थी। जब वह तुलाई पर्ची लेकर धान को रिकॉर्ड में चढ़वाने के लिए पहुंचा तो सेल्समैन हेमराज उरमलिया ने उससे 40 से 45 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से रिश्वत की मांग की।  28 जनवरी 2015 को परसराम उपाध्याय ने साख समिति के ऑफिस में पहुंचकर हेमराज उरमलिया को दो हजार रुपए दिए। हेमराज ने दो हजार रुपए की रिश्वत लेकर चंद्रिका प्रसाद परोहा को दे दी। लोकायुक्त की टीम ने दोनों आरोपियों को रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया। लोकायुक्त की ओर से विशेष लोक अभियोजक प्रशांत शुक्ला ने दलील दी कि आरोपियों ने धान को रिकॉर्ड पर चढ़ाने के लिए रिश्वत की मांग की थी, गवाहों ने भी इसका समर्थन किया है। सुनवाई के बाद न्यायालय ने सेल्समैन और सहायक लिपिक को 4-4 साल की सजा और 4-4 हजार रुपए अर्थदंड से दंडित किया है।

 

Created On :   25 Dec 2018 7:34 AM GMT

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