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नागपुर जिले में 26 गांवों के जलस्रोत दूषित, 966 नमूने जांच के लिए भेजे गए
डिजिटल डेस्क, नागपुर। स्वच्छ पानी नागरिकों का मूलभूत अधिकार है, लेकिन यह अधिकार भी नागरिकों को नहीं मिल पाया है। हाल ही में मार्च महीने के पानी के नमूनोें की जांच रिपोर्ट मिली है, जिसमें 26 गांवों के दूषित जलास्रोतों की पुष्टि हुई है।
ग्राम पंचायतों की लापरवाही : गांव में पानी के जलस्रोत का शुद्धिकरण करने की जिम्मेदारी संबंधित ग्राम पंचायत पर है। कुओं तथा बोरवेल में ब्लीचिंग पाउडर डालने, जलस्रोत के आसपास स्वच्छता रखने के अलावा नागरिकों में जनजागरण किया जाता है। ग्राम पंचायतें जलस्रोतों को शुद्ध रखने के लिए जनजागरण करने में पीछे रहीं, इस कारण जलस्रोतों के दूषित होने की जानकारी सामने आई है। ग्राम पंचायतों की लापरवाही, नागरिकों के स्वास्थ्य पर बन आई है। दूसरा विकल्प नहीं रहने से मजबूरी में दूषित पानी उपयोग में लाने से नागरिकों के स्वास्थ्य पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं।
प्रादेशिक स्वास्थ्य प्रयोगशाला में हुई जांच
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के माध्यम से हर महीने में पानी के नमूने लेकर जांच के लिए प्रादेशिक सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशाला में भेजे जाते हैं। मार्च महीने में 966 नमूने प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजे गए, जिसमें से 26 नमूने दूषित पाए गए।
एक्सपर्ट व्यू... दूषित पानी पीने से बैक्टीरियल इंफेक्शन हो सकता है, जिसकी वजह से हैजा, टाइफाइड, पेचिश जैसी बीमारियां आसानी से किसी को भी अपना शिकार बना सकती हैं। वायरल इंफेक्शन भी हो सकता है। वायरल इंफेक्शन के कारण हेपेटाइटिस ए, फ्लू, कॉलरा, टायफाइड और पीलिया जैसी खतरनाक बीमारियां होती हैं। ग्रामीण आबादी में जलजनित बीमारियों का खतरा अधिक होता है। यह कहीं भी, किसी को भी प्रभावित कर सकती है। शिशु, छोटे बच्चों, बुजुर्गों और मधुमेह, हृदय रोग, गुर्दे, आदि के पुराने रोगियों में अधिक रहता है।
Created On :   2 May 2022 4:33 AM GMT