एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर साबित नहीं कर सकी महिला, तलाक से टूटी गृहस्थी

Woman could not prove extra marital affair, family broken by divorce
एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर साबित नहीं कर सकी महिला, तलाक से टूटी गृहस्थी
एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर साबित नहीं कर सकी महिला, तलाक से टूटी गृहस्थी

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  पति के चरित्र पर बेवजह शक करके उसे उसके ऑफिस में और परिजनों के सामने जलील करना पति के साथ मानसिक क्रूरता करने जैसा है। यदि पत्नी पति पर इस प्रकार के आरोप लगाती है और मामला कोर्ट तक पहुंचता है, तो फिर पत्नी को अपने द्वारा लगाए गए आरोपों के साथ ठोस सबूत देना जरूरी है। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने इस निरीक्षण के साथ नागपुर निवासी एक महिला द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया है। वर्ष 2012 में पारिवारिक न्यायालय ने पति द्वारा दायर तलाक की अर्जी को मान्य किया था। साथ ही पति को पत्नी व दो बेटियों के लिए प्रतिमाह 11500 रुपए मेंटेनेंस देने के आदेश दिए गए थे। पत्नी ने हाईकोर्ट में अपील दायर करके मेंटेनेंस की राशि बढ़ाने की प्रार्थना की थी, लेकिन मामले में सभी पक्षों को सुनकर हाईकोर्ट ने पत्नी की अपील खारिज कर दी।  

तीसरे व्यक्ति के कहने पर पति पर शक किया 
उक्त दंपत्ति का विवाह मई 1995 को हुआ था। उन्हें विवाह से दो बेटियां भी हैं। पति के अनुसार, विवाह के एक वर्ष तक तो सब ठीक चला, लेकिन फिर पत्नी उसके चरित्र पर शक करने लगी। पत्नी को लगता था कि पति का उसके ऑफिस की एक सहकर्मी के साथ अफेयर चल रहा है। इसी शक के चलते वह कई बार पति के ऑफिस पहुंच कर खूब तमाशा करती थी। यहां तक कि दोनों बेटियों व परिजनों के सामने भी पति को खूब जलील करती थी। जब यह मामला कोर्ट में पहुंचा तो पत्नी से पूछताछ की गई। यहां पत्नी ने स्वीकार किया कि उसने कभी खुद अपने पति पर शक नहीं था, बल्कि उसे किसी तीसरे व्यक्ति के जरिए मालूम हुआ कि पति शायद अपने कार्यालय की महिला में रूचि रखता है। हाईकोर्ट ने पत्नी के इस बर्ताव पर माना कि वह बेवजह अपने पति पर शक कर रही थी। 

चरित्र पर बिगड़ती है बात
इस मामले में यह भी निकल कर आया कि पति ने वैवाहिक जीवन चलाने के लिए खूब प्रयत्न किए। अपने पैसों से घर बनाया और पत्नी के नाम कर दिया, तलाक की अर्जी दायर करने के बाद भी दो वर्ष तक पत्नी के साथ रहा। लेकिन बात आखिरकार चरित्र पर आकर बिगड़ जाती थी। अंतत: हाईकोर्ट ने भी माना कि पति पर पत्नी ने मानसिक क्रूरता की है। ऐसे में पारिवारिक न्यायालय के आदेश में परिवर्तन की कोई जरूरत नहीं है। पत्नी की अर्जी इसके साथ ही खारिज कर दी गई। 
 

Created On :   8 March 2021 4:34 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story