लॉकडाउन के चलते काम बंद, नागपुर के अनेक गांवों में पानी के लिए त्राहि-त्राहि

Work stopped due to lockdown, water to water
लॉकडाउन के चलते काम बंद, नागपुर के अनेक गांवों में पानी के लिए त्राहि-त्राहि
लॉकडाउन के चलते काम बंद, नागपुर के अनेक गांवों में पानी के लिए त्राहि-त्राहि

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जिले में जलसंकट शुरू हो गया है। अनेक गांवों में पानी के लिए त्राहि-त्राहि मचा है । जलसंकट निवारण में कोरोना की मार पड़ी है। लॉकडाउन में सरकारी कार्यालय खाली पड़े हैं। गर्मी का आधा मौसम चला गया। अभी तक जलसंकट निवारण उपाययोजना के काम शुरू नहीं होने से अनेक गांवों में जलसंकट से राहत के आसार नहीं है।

धूल खा रहे प्रस्ताव
शहर से सटे बीड़गांव और तरोड़ी खुर्द दो गांवों में 3 टैँकर से जलापूर्ति की जा रही है। कुही, नरखेड़ और भिवापुर तहसील के 11 गांवों में 12 कुओं का अधिग्रहण किया गया है। अन्य गांवों में जलसंकट व्याप्त है। संबंधित ग्राम पंचायतों से पंचायत समिति स्तर पर जलसंकट निवारण उपाययोजना के लिए प्रस्ताव भेजे गए हैं। सरकारी कार्यालयों में कर्मचारी नहीं रहने से प्रस्ताव धूल खा रहे हैं।

ठंडे बस्ते में बोरवेल खुदाई
जलसंकट निवारण उपाययोजना अंतर्गत ग्रामीणों की प्यास बुझाने के लिए बड़ी संख्या में बोरवेल खोदे जाते हैं। इस वर्ष 400 से अधिक बोरवेज मंजूर किए गए हैं। अभी तक बोरवेल खुदाई का काम शुरू नहीं हुआ है।

सोशल डिस्टेंसिंग भी एक समस्या
लॉकडाउन के बीच बोरवेल खुदाई के लिए मजदूर नहीं मिलने से काम लड़खड़ा गया है। मजदूरों के बीच काम करते समय सोशल डिस्टेंसिंग रखना, यह भी एक बड़ी समस्या है। इस समस्या का कोई हल नहीं रहने से विभाग काम शुरू करने के लिए कतरा रहा है।

जलसंकट पर 30 करोड़ मंजूर
जिले में जलसंकट निवारण उपाययोजना पर 30 करोड़ रुपए मंजूर हुए है। बोरवेल खुदाई, कुओं का अधिग्रहण, नल योजना दुरुस्ती, कुओं का मलबा निकालकर गहराई बढ़ाना, टैँकर से जलापूर्ति आदि उपाययोजनाओं पर यह निधि खर्च किया जाता है। दो गांवों में 3 टैँकर और 11 गांवों में 12 कुओं का अधिग्रहण किया गया है। अन्य ग्राम पंचायतों से जलसंकट निवारण के लिए पंचायत समिति को प्रस्ताव भेजे गए है। सरकारी अमला कोरोना संक्रमण की रोकथाम के पीछे पड़ा रहने से फाइलें टेबलों पर पड़ी है।

टैंकर से जलापूर्ति के स्थानीय स्तर पर अधिकार
कुओं का अधिग्रहण और टैंकर से जलापूर्ति के अधिकार तहसील स्तर पर है। ग्राम पंचायतों से पंचायत समिति में प्रस्ताव भेजा जाता है। गट विकास अधिकारी पड़ताल करते हैं। रिपोर्ट उपविभागीय अधिकारी को भेजी जाती है। उपविभागीय अधिकारी मंजूरी मिलने पर जलापूर्ति की व्यवस्था की जाती है
विजय टाकलीकर, मुख्य कार्यकारी अभियंता, ग्रामीण जलापूर्ति विभाग, जिला परिषद 

Created On :   25 April 2020 5:26 AM GMT

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