Uttarakhand News: उत्तराखंड CM धामी की नई पहल: गन्ने के दाम बढ़ाने और संस्कृत आयोग गठन से किसानों व संस्कृति प्रेमियों में उत्साह

उत्तराखंड CM धामी की नई पहल: गन्ने के दाम बढ़ाने और संस्कृत आयोग गठन से किसानों व संस्कृति प्रेमियों में उत्साह
उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने गन्ने का SAP बढ़ाया और संस्कृत उत्थान के लिए उच्च-स्तरीय आयोग गठन की घोषणा की। किसानों व संस्कृति प्रेमियों में खुशी।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री Pushkar Singh Dhami (पुष्कर सिंह धामी) ने 2025–26 क्रशिंग सीज़न में गन्ने का दाम बढ़ाकर किसानों को राहत दी है। साथ ही, राज्य में संस्कृति और शिक्षा के संरक्षण की दिशा में उन्होंने संस्कृत भाषा के उत्थान के लिए एक उच्च-स्तरीय आयोग गठन की घोषणा की है। ये दोनों पहलें- कृषि व संस्कृति- धामी सरकार के समावेशी विकास मॉडल को मजबूती प्रदान करती दिख रही हैं।

गन्ना किसानों के लिए राहत– SAP बढ़ाई

उत्तराखंड सरकार ने 2025–26 के क्रशिंग सीज़न में गन्ने की खरीदी के लिए नोटिफाईड रेट (State Advised Price – SAP) में वृद्धि की है। पहले वर्ष में जल्दी पक्के गन्ने का SAP ₹ 375 प्रति क्विंटल था, जिसे अब ₹ 405 किया गया है। वहीं सामान्य गन्ने के SAP ₹ 365 से बढ़कर ₹ 395 हो गया है।

इस फैसले से प्रदेश के सैकड़ों गन्ना किसान मार्गदर्शित मूल्य के भरोसे बेहतर खेती-कृषि की योजना बना पाएँगे। सरकार ने स्पष्ट किया है कि भुगतान जल्द और पारदर्शी तरीके से होगा, जिससे किसानों को उनकी उपज का उचित मुनाफा मिलेगा।

संस्कृत को नई पहचान- उच्च-स्तरीय आयोग होगा गठन

संस्कृति, शिक्षा और विरासत संरक्षण की दिशा में धामी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। हरिद्वार में आयोजित दो दिन के अंतरराष्ट्रीय संस्कृत सम्मेलन के समापन पर मुख्यमंत्री धामी ने घोषणा की है कि राज्य में संस्कृत भाषा और उसकी परंपरा को पुनर्जीवित करने व आगे बढ़ाने के लिए एक उच्च-स्तरीय आयोग गठित किया जाएगा।

धामी ने कहा कि संस्कृत सिर्फ भाषा नहीं, बल्कि भारतीय ज्ञान परंपरा, दर्शन, साहित्य और संस्कृति की जड़ है। आयोग के जरिए स्कूल और विश्वविद्यालय स्तर पर संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा, शोध एवं अध्ययन संभावनाओं को विस्तार मिलेगा, और देवभूमि उत्तराखंड अपनी सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करेगी।

क्या है इन पहलों का असर?

• किसानों का आर्थिक सशक्तिकरण: गन्ने के दाम में वृद्धि से किसान अपनी लागत निकाल पाएँगे, आय में सुधार होगा, जिससे कृषि को नए रूप में बढ़ावा मिलेगी।

• संस्कृति और शिक्षा को बढ़ावा: संस्कृत आयोग के गठन से न सिर्फ भाषा व साहित्य को संरक्षण मिलेगा, बल्कि युवा पीढ़ी में पारंपरिक ज्ञान व अध्ययन की प्रवृत्ति जागृत होगी।

• सरकारी प्रतिबद्धता का संकेत: ये कदम सरकार की ये स्पष्ट नीयत दर्शाते हैं कि सिर्फ एक क्षेत्र (कृषि या उद्योग) नहीं, बल्कि राज्य के सामाजिक-सांस्कृतिक और आर्थिक हर पहलू पर ध्यान दिया जा रहा है।

पुष्कर सिंह धामी की नई पहल- गन्ने पर SAP बढ़ाना और संस्कृत उठान के लिए आयोग- यह संकेत देती है कि उत्तराखंड में अब विकास सिर्फ भवन-सड़क तक सीमित नहीं, बल्कि खेतों, किसानों, भाषा-संस्कृति और भविष्य की पीढ़ियों तक पहुंच रहा है। अगर ये वादे समयबद्ध और प्रभावी ढंग से लागू हुए, तो इनसे राज्य स्तर पर दीर्घकालीन स्थिरता और विकास को मजबूत आधार मिल सकता है।

Created On :   2 Dec 2025 5:51 PM IST

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