शिंदे सरकार पर खतरा टला , बने रहेंगे मुख्यमंत्री
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने एकनाथ शिंदे सरकार के वैध या अवैध होने के बारे में भले ही कुछ नहीं कहा है, लेकिन फैसले से यह साफ है कि शिंदे सरकार को किसी तरह का कोई खतरा नहीं है। अदालत ने शिवसेना के बागी विधायकों की अयोग्यता का फैसला विधानसभा अध्यक्ष पर छोड़ दिया है। अदालत ने इस पर फैसला लेने के लिए स्पीकर के समक्ष समय-सीमा की कोई बाध्यता नहीं रखी है। कहा कि उचित अवधि के भीतर वे विधायकों की अयोग्यता पर निर्णय ले सकते हैं। इसके साथ ही अदालत ने नबाम रेबिया मामले को विचार के लिए सात जजों की बड़ी बेंच के समक्ष भेज दिया है, जिसे आधार मानते हुए इस मामले पर विचार किया जा रहा था।
सीजेआई के नेतृत्व वाली पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने लंबे समय से प्रतीक्षित इस मामले पर आज अपना फैसला सुनाया है। अदालत ने तत्कालीन राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी द्वारा फ्लोर टेस्ट कराए जाने के फैसले पर जहां सवाल उठाए, वहीं राज्यपाल द्वारा शिंदे को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने के कदम को सही बताया। साथ ही कहा कि ठाकरे ने सदन का बहुमत खो देने के कारण यथास्थिति बहाल नहीं की जा सकती, क्योंकि ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया और अपना इस्तीफा दे दिया। इसके अलावा अदालत ने विधानसभा में विश्वास मत प्रस्ताव पर वोटिंग के दौरान शिंदे खेमें के भरत गोगावले को शिवसेना का चीफ व्हिप बनाने को अवैध बताया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष को शिवसेना द्वारा नियुक्त चीफ व्हिप सुनील प्रभु को ही व्हिप मानना चाहिए था। कोर्ट ने कहा कि स्पीकर को पता था कि दो गुट हैं, लेकिन उन्होंने अपने पसंद के व्हिप को मान्यता दी। उन्हें आधिकारिक व्हिप को ही मान्यता देनी चाहिए थी। मामले में हस्तक्षेप याचिका दायर करने वाले वकील असीम सरोदे का कहना है कि कोर्ट की यह टिप्पणी शिंदे खेमे के लिए चुभने वाली लग सकती है, लेकिन यह ठाकरे गुट को भी राहत देने वाली नहीं है। क्योंकि चुनाव आयोग ने शिंदे गुट की शिवसेना को ही असली पार्टी माना है, इसलिए शिंदे गुट फिर से अपना नया चीफ व्हिप नियुक्त कर सकता है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला असंयुक्ति और संविधान विरोधी है।
Created On :   11 May 2023 7:02 PM IST