इंदिरा गांधी से जुड़ी ये 10 बातें जानते हैं आप?

100 years of Indira Gandhi Childhood Biography Facts Life History Death 19th November 2017
इंदिरा गांधी से जुड़ी ये 10 बातें जानते हैं आप?
इंदिरा गांधी से जुड़ी ये 10 बातें जानते हैं आप?

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का 19 नवंबर रविवार को जन्मशती है। पाकिस्तान का भूगोल बदलकर बांग्लादेश के रूप में नया देश बनाने वाली इंदिरा गांधी विश्वभर में अपनी एक अलग पहचान रखती थीं। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की बेटी इंदिरा को अपने कड़े फैसलों के लिए भी जाना जाता है। bhaskarhindi.com के साथ जानते हैं इंदिरा के जन्मशती दिवस पर उनसे जुड़ी 10 बड़ी बातें...

 

1. रामलीला मैदान से की थी चुनाव अभियान की शुरुआत

इंदिरा गांधी ने अपने चुनाव अभियान की शुरुआत 5 फ़रवरी, 1977 को दिल्ली के रामलीला मैदान से की थी। अपने हार्ड हिटिंग भाषण में इंदिरा गांधी ने जनता पार्टी को खिचड़ी कह कर उसका मज़ाक उड़ाया था। एक समय ऐसा भी आया था जब बीच भाषण में सामने बैठी कुछ औरतें उठकर जाने लगी थीं। सेवा दल के कार्यकर्ता उन्हें दोबारा बैठाने के लिए अपना पूरा ज़ोर लगा रहे थे। इससे पहले आयोजकों ने भीड़ जमा करने के लिए अपना सारा ज़ोर लगा दिया था। स्कूल अध्यापकों, दिल्ली नगर निगम के कर्मचारियों और मज़दूरों को बसों में भर भर कर रामलीला मैदान पहुंचाया गया था।

2. नाक टूटने पर भी नहीं रूकी थीं इंदिरा गांधी

1967 के चुनाव के दौर में उड़ीसा स्वतंत्र पार्टी का गढ़ हुआ करता था। इस दौरान इंदिरा ने यहां एक चुनावी सभा में बोलना शुरू किया, वहां मौजूद भीड़ ने उन पर पत्थरों की बरसात शुरू कर दी थी। उन्होंने अपने दोनों हाथों से बहते खून को पोंछा। उनकी नाक की हड्डी टूट गई थी, लेकिन ये इंदिरा गांधी को विचलित करने के लिए काफ़ी नहीं था। स्थानीय नेताओं ने उनसे अपना भाषण तुरंत समाप्त करने का अनुरोध किया, लेकिन वे रुकी नहीं और उन्होंने बोलना जारी रखा। इस दौरान इंदिरा ने भीड़ से कहा, "क्या इसी तरह आप देश को बनाएंगे? क्या आप इसी तरह के लोगों को वोट देंगे।"

 

 

इंदिरा गांधी को फिरोज ने खाने की मेज पर कहा था फासीवादी

 

3. जब कास्त्रो ने इंदिरा गांधी को छाती से लगा लिया

सन् 1983 में गुटनिरपेक्ष सम्मेलन में भाग लेने फ़िदेल कास्त्रो भारत आए थे। यहां सम्मेलन के उस दृश्य को कोई नहीं भूल सकता जब फ़िदेल कास्त्रो ने विज्ञान भवन के मंच पर ही सरेआम इंदिरा गांधी को गले लगा लिया था। मशहूर पत्रकार सईद नक़वी कहते हैं, "इंदिरा गांधी को फ़िदेल ने छाती से लगा लिया। वो लजाई शर्माई दुल्हन बन गईं बिल्कुल। उनकी समझ में ही नहीं आया कि क्या करें, लेकिन वो इंदिरा को नेहरू की बेटी के रूप में देखते थे।"

 

4. संसद में कभी नहीं की पति फिरोज की तारीफ

इंदिरा और फिरोज के रिश्ते का एक कड़वा सच ये भी है कि अपने ससुर जवाहर लाल नेहरू के साथ फिरोज की बिल्कुल भी नहीं बनती थी। जवाहरलाल नेहरू अपने दामाद फिरोज से खुश नहीं थे, शायद यही कारण है कि इंदिरा गांधी ने भी कभी संसद में फिरोज के महत्वपूर्ण काम की तारीफ नहीं की। फिरोज गांधी की मौत के 15 साल बाद इंदिरा ने आपातकाल की घोषणा की और अपने पति के बनाए प्रेस लॉ को एक तरह से कचरे के डिब्बे में फेंक दिया।

 

5. जस्टिस सिन्हा ने इंदिरा को बुलाया कटघरे में

एक मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा ने इंदिरा गांधी को कोर्ट आने के लिए मजबूर कर दिया था। साथ ही इंदिरा को कक्ष में बुलाने से पहले ऐलान किया कि कोर्ट की ये परंपरा है कि लोग तभी खड़े हों जब जज कोर्ट के अंदर आएं, इसलिए जब कोई गवाह यहां आए तो मौजूद कोई शख़्स खड़ा न हो। जब इंदिरा गांधी कोर्ट में घुसीं तो कोई भी उनके सम्मान में खड़ा नहीं हुआ। जस्टिस सिन्हा ने इंदिरा गांधी के लिए कटघरे में एक कुर्सी का इंतज़ाम करवाया, ताकि वो उस पर बैठ कर अपनी गवाही दे सकें।

 

6. इंदिरा गांधी से बांग्लादेश को आजादी

इंदिरा गांधी वर्ष 1966 से 1977 तक लगातार 3 पारी के लिए भारत गणराज्य की प्रधानमंत्री रहीं। भारत की पाकिस्तान पर इस ऐतिहासिक जीत भी उन्हीं के शासनकाल में प्राप्त हुई थी। इस जीत को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत ने 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था। इस रक्तरंजित युद्ध को जीतने के बाद इंदिरा गांधी ने बांग्लादेश को पाकिस्तान से स्वाधीनता प्राप्त कराई थी। बांग्लादेश का स्वतंत्रता संग्राम 1971 में हुआ था, इसे "मुक्ति संग्राम" भी कहते हैं।

 

7. अपातकाल

इंदिरा गांधी ने 1975 से 1977 तक राज्यों में आपातकाल की स्थिति घोषित की और सभी राज्यों में इसे लागू करने का भी आदेश दिया। 26 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक का 21 महीने की अवधि में भारत में आपातकाल घोषित था। तत्कालीन राष्ट्रपति फ़ख़रुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कहने पर भारतीय संविधान की धारा 352 के अधीन आपातकाल की घोषणा कर दी। स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह सबसे विवादास्पद और अलोकतांत्रिक काल था।

8. लोगों ने कहा देश छोड़कर भाग जाएंगी इंदिरा

ये बात 1977 आम चुनाव की है, जब इंदिरा गांधी चुनाव हार गईं और जनता पार्टी की सरकार बन गई थी। इस दौरान लोगों ने यह तक कह दिया था कि वो मैदान छोड़ कर भाग जाएंगी। लोग मानते थे कि इंदिरा इस हार के बाद देश छोड़ कर भी कहीं चली जाएंगी, लेकिन उनका ये दृढ़विश्वास था कि वो कहीं नहीं जाएंगी और अपने राजनीतिक विरोधियों से यहीं मुक़ाबला करेंगी। इसके बाद इंदिरा ने 1978 में चिकमंगलूर उपचुनाव में शानदार जीत दर्ज की और फिर से लोकसभा पहुंच गईं।

 

9. इंदिरा गांधी की हत्या

इंदिरा गांधी उस दिन सुबह ब्रिटेन की राजकुमारी एन को दिए जाने वाले भोज में शामिल होने के लिए अपने घर से तैयार होकर बाहर निकलीं थीं। उन्हें धूप से बचाने के लिए सिपाही नारायण सिंह काला छाता लिए हुए उनके बग़ल में चल रहे थे। उनसे कुछ क़दम पीछे थे आरके धवन और उनके भी पीछे थे इंदिरा गांधी के निजी सेवक नाथू राम। सबसे पीछे थे उनके निजी सुरक्षा अधिकारी सब इंस्पेक्टर रामेश्वर दयाल।

जब इंदिरा गांधी एक अकबर रोड को जोड़ने वाले विकेट गेट पर पहुंची तो वो धवन से बात कर रही थीं। अचानक वहां तैनात सुरक्षाकर्मी बेअंत सिंह ने अपनी रिवॉल्वर निकालकर इंदिरा गांधी पर फ़ायर किया। गोली उनके पेट में लगी। इंदिरा ने चेहरा बचाने के लिए अपना दाहिना हाथ उठाया लेकिन तभी बेअंत ने बिल्कुल प्वॉइंट ब्लैंक रेंज से दो और फ़ायर किए। ये गोलियां उनकी बग़ल, सीने और कमर में घुस गईं। इसके बाद इंदिरा जमीन पर गिर पड़ीं, तभी सतवंत सिंह ने तुरंत अपनी ऑटोमैटिक कारबाइन की सभी पच्चीस गोलियां इंदिरा गांधी के शरीर के अंदर डाल दीं।

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10. इंदिरा की जान बचाने के लिए चढ़ा था 80 बोतल ख़ून

31 अक्टूबर 19 इंदिरा गांधी को ज़मीन से आरके धवन और सुरक्षाकर्मी दिनेश भट्ट ने उठाकर सफ़ेद एंबेसडर कार की पिछली सीट पर रखा। कार बहुत तेज़ी से एम्स की तरफ़ बढ़ी। एम्स में इंदिरा के रक्त ग्रुप ओ आरएच निगेटिव का पर्याप्त स्टॉक था। यहां एक डॉक्टर ने उनके मुंह के ज़रिए उनकी सांस की नली में एक ट्यूब घुसाई ताकि फेफड़ों तक ऑक्सीजन पहुंच सके और दिमाग़ को ज़िंदा रखा जा सके। इसके बाद लगातार इंदिरा को 80 बोतल ख़ून चढ़ाया गया जो उनके शरीर की सामान्य ख़ून मात्रा का पांच गुना था, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका था। 

Created On :   18 Nov 2017 6:55 PM GMT

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