Bhaskar Hindi
Update: 2017-05-19 08:45 GMT
नई दिल्ली। दुनिया में चमत्कारों और आश्चर्यों की कमी नहीं है। एक ऐसे ही आश्चर्य ने दुनिया को एक बार फिर चकित किया है। पशु की खाल में लिपटी हुई एक बौद्ध भिक्षु की ममी एक गुफा में पायी गई है। हालांकि इसे ममी नहीं कहा जा रहा है। जानकारों के अनुसार ये भी मेडिटेशन की एक अवस्था है।

 

27 जनवरी 2015 को मंगोलिया की राजधानी उलानबातर में पुलिस ने बौद्ध भिक्षु की ममी बरामद की थी। इस व्यक्ति का नाम एनह्टॉर है और इसे यह ममी पहाड़ पर स्थित एक गुफा से पशु की खाल में लिपटी हुई मिली थी। यह शख्स उसे बेचने की तैयारी में था।

 

बौद्ध भिक्षु की ममी
200 साल पुरानी यह ममी एक बौद्ध भिक्षु की है, जो पद्मासन में बैठे हुए हैं। उनकी दोनों हथेलियां खुली हैं और ऐसा लगता है कि वे ध्यान मुद्रा में हैं। मशहूर बौद्ध भिक्षु और दलाई लामा के डॉक्टर बैरी कर्जिन का दावा है कि ममी के रूप में मिले भिक्षु मरे नहीं हैं, बल्कि तुकदम में बैठे हैं। यह मेडिटेशन की बहुत गहरी स्टेज होती है।

 

तुकदम अवस्था
डॉ. कर्जिन का कहना है कि वे तुकदम अवस्था में पहुंचने वाले कुछ लोगों की जांच कर चुके हैं। बकौल डॉ. कर्जिन, अगर व्यक्ति तीन सप्ताह से ज्यादा तक तुकदम में बना रहे, तो उसका शरीर सिकुड़ने लगता है और अंत में सिर्फ बाल, नाखून व कपड़े बचते हैं। डॉ. कर्जिन के अनुसार, इस स्थिति में भिक्षु के करीबी लोगों को कई दिनों तक आकाश में इंद्रधनुष नजर आता है। इसका मतलब होता है कि भिक्षु को इंद्रधनुषी काया मिल गई है। यह बुद्ध के करीब की अवस्था होती है।

 

इलाके में तापमान
इस इलाके में तापमान माइनस 26 डिग्री तक गिर जाता है। अनुमान लगाया गया है कि यह ममी 12वें पंडितो हम्बो लामा दाशी-दोरझो इतिगिलोव (1852-1927) के गुरु की हो सकती है। 12वें पंडितो की बॉडी भी ध्यान मुद्रा में मिली थी। फिलहाल यह ममी मंगोलिया के नेशनल सेंटर फॉर फोरेंसिक एक्सपर्टाइज के संरक्षण में है।

 

जैसा कि तुकदम अवस्था के लक्षण बताए जाते हैं, यह ममी भी सिर्फ सिकुड़ी है, उसमें सड़न के कोई लक्षण नहीं हैं। हालांकि साइंटिस्ट्स का कहना है कि ठंडी जगह पर रखी होने के कारण डेड बॉडी सड़न से बची रह गई।

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