इन रहस्यों पर से आज तक नहीं उठ पाया पर्दा

इन रहस्यों पर से आज तक नहीं उठ पाया पर्दा

Bhaskar Hindi
Update: 2018-10-19 10:29 GMT
इन रहस्यों पर से आज तक नहीं उठ पाया पर्दा

डिजिटल डेस्क। विज्ञान ने लोगों का अंधविश्वास काफी हद तक कम किया है। अब लोग किसी चीज के होने पर उसके पीछे का कारण जानने की कोशिश करने लगे हैं, लेकिन आज भी बहुत से ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब विज्ञान के पास नहीं है। हम आपको कुछ ऐसे ही सवालों से रूबरू करा रहे हैं। आइए जानते हैं कुछ रहस्यों के बारे में जिन्हें आज तक साइंस भी नहीं सुलझा पाया है। 

 

 

गेट ऑफ सन, बोलीविया


टिवानाकु को बोलिविया का रहस्यमयी शहर भी कहा जाता है। हजारों साल पहले यहां एक आबाद शहर हुआ करता था। उसकी बस्ती के आसपास एक गेट भी था। ये पूरा इलाका किस सभ्यता ने विकसित किया, इसके बारे में आज भी कोई जानकारी नहीं है। वैज्ञानिकों को लगता है कि इस गेट की मदद से ग्रहों की स्थिति का अंदाजा लगाया जाता था।

 

 

योनागुनी का डूबा शहर, जापान

गोताखोर किहाचिरो अराताके ने इस डूबे ढांचे की खोज की। माना जाता है कि विशाल ढांचा 10,000 साल पहले डूबा। वैज्ञानिकों का अनुमान से पाषाण युग के बाद इंसान जब पहली बार गुफाओं से बाहर निकला तो उसने ऐसे ढांचे बनाए।

 

 

मोहनजोदड़ो, पाकिस्तान

1922 में पुरातत्व विज्ञानियों ने सिंधु नदी के किनारे पौराणिक शहर मोहनजोदाड़ो के अवशेष खोजे। बेहद समृद्ध सा दिखने वाला ये शहर अचानक कैसे खत्म हुआ, वहां के सारे बाशिंदे कैसे मारे गए, इसका आज तक कोई जवाब नहीं मिला है। बार बार खुदाई होने के बाद भी मोहनजोदाड़ो रहस्य बना हुआ है।

 

 

लॉन्स ओ मेदो, कनाडा

हजारों साल पहले यूरोपीय इंसान पहली बार उत्तरी अमेरिका पहुंचा। वहां पहुंचकर उसने बस्ती बसाई। ये बस्तियां आज भी देखी जा सकती है। क्रिस्टोफर कोलंबस तो सैकड़ों साल बाद उत्तरी अमेरिका पहुंचे।

 

 

पत्थर की विशाल गेंदे, कोस्टा रिका

पत्थर की ये बड़ी गेंदें बिल्कुल गोल हैं, लेकिन इन्हें किसने बनाया, इसका पता किसी को नहीं है। 1930 में केले के पौधों की रोपाई के दौरान ये गेंदें मिली। पौराणिक कथाओं के मुताबिक इन गेंदों में सोना था।


अधूरा स्तंभ, मिस्र

उत्तरी मिस्र के असवान में जमीन पर लेटा पत्थर का एक विशाल स्तंभ मिला। स्तंभ की लंबाई 42 मीटर है और वजन करीब 1200 टन। इतिहासकारों के मुताबिक निर्माण के दौरान पत्थर में दरार आने की वजह से इसे अधूरा छोड़ दिया गया, लेकिन इतना विशाल स्तंभ कैसे उठाया जाता, ये बात आज भी समझ के परे है।

 

 

मोआ के पंजे, न्यूजीलैंड

करीब 1500 साल पहले माओरी कबीले के लोग न्यूजीलैंड पहुंचे। माना जाता है कि वहां पहुंचकर उन्होंने माओ परिदों का खूब शिकार किया। माओ पूरी तरह लुप्त हो गए. लेकिन आज भी उनके कुछ पंजे सुरक्षित हैं।

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