यहां है खौलते दूध से नहाने और नवजात को छत से फेंकने की परंपरा

यहां है खौलते दूध से नहाने और नवजात को छत से फेंकने की परंपरा

Bhaskar Hindi
Update: 2017-10-28 07:37 GMT
यहां है खौलते दूध से नहाने और नवजात को छत से फेंकने की परंपरा

डिजिटल डेस्क, मिर्जापुर। अजीब परंपराओं से भरी इस दुनिया में आज हम को कहीं और की नहीं, बल्कि इंडिया के एक ऐसे शहर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां आज भी एक ऐसी परंपरा बदस्तूर जारी है, जिसके बारे में सोचकर भी किसी के भी रोंगटे खड़े हो सकते हैं। 

जी हां, उत्तरप्रदेश के वाराणसी और मिर्जापुर के कुछ मंदिरों में आज भी कराहा परंपरा जारी है। इसे लेकर कहा जाता है कि इसे पूर्ण ना करने से कुल का बुरा होता है और संतान को कष्ट भोगना पड़ता है। आज हम आपको यहां इस परंपरा के नजदीक लेकर जा रहे हैं। 


ऐसा बताया जाता है कि इस परंपरा के तहत नवजात बच्चे को खौलते दूध से नहलाया जाता है। उसके बाद बच्चे का पिता खुद उस खौलते हुए दूध से नहाता है।  ठीक इसी प्रकार महाराष्ट्र के शोलापुर में बाबा उमर दरगाह और कनार्टक के इंद्री स्थित श्री संतेश्वरी मंदिर में बच्चों को छत से नीचे फेंकने की परंपरा है। हालांकि इस दौरान एक व्यक्ति नीचे खड़ा होता है उन्हें गोद में लेने के लिए। 


नहीं होती कोई बीमारी
मान्यता है कि ऐसा करने से बच्चा हमेशा स्वस्थ रहता है। उसे किसी भी तरह की बीमारी नही होती और ना ही वह बुरी शक्तियों से प्रभावित होता है। बच्चे को एक चादर के जरिए नीचे खड़े लोग गोद में ले लेते हैं। 


पिता पूरी करता है परंपरा 

वहीं कराहा के मामले में भी कहा जाता है कि नवजात को खौलते हुए दूध की कुछ बूंदें ही टच कराई जाती हैं। बाकी की पूरी परपंरा उसका पिता पूर्ण करता है। इससे पहले पूजा पाठ, ढोल नगाड़े का सिलसिला चलता है। स्थानीय लोगों की इन परंपराओं को लेकर मानना है कि उन्हें विशेष दैवीय शक्ति इस दौरान प्राप्त होती है, जिसकी वजह से उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचता। हालांकि इसमें कितनी सच्चाई है ये नही कहा जा सकता।

Similar News