यहां है दुनिया का एकमात्र तैरता डाकघर, अभी भी लोगों को पहुंचाता है चिट्ठी

Ajab-Gajab यहां है दुनिया का एकमात्र तैरता डाकघर, अभी भी लोगों को पहुंचाता है चिट्ठी

Manmohan Prajapati
Update: 2021-08-19 11:56 GMT
यहां है दुनिया का एकमात्र तैरता डाकघर, अभी भी लोगों को पहुंचाता है चिट्ठी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दुनिया बदल रही है और इसी के साथ धीरे-धीरे चिट्ठियों का दौर भी खत्म हो रहा है। इस बदलते दौर में आज भी एक जगह ऐसी है, जहां तैरता हुआ डाकघर है। यह दो सदियों पुराना तैरता हुआ डाकघर ब्रिटिश काल में शुरू किया गया था और अभी भी झील पर रहने वाले लोगों को पत्र और कोरियर पहुंचाता है। 

तैरते हुए बगीचे, टापू और हाउसबोट सभी ऐसी चीजें हैं जिनके बारे में आपने सुना होगा, लेकिन कश्मीर की मशहूर डल झील में एक तैरता हुआ डाकघर है। यह पूरी दुनिया में एकमात्र तैरता हुआ डाकघर है। 

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कब और किसने की इसकी शुरूआत?
बताया जाता है दो सदियों पुराने इस तैरते हुए डाकघर की शुरुआत ब्रिटिश काल में हुई थी और यह झील पर रहने वाले लोगों को पत्र और कुरियर पहुंचाता है। पोस्ट की डिलीवरी शिकारा में यात्रा करते समय एक डाकिये द्वारा की जाती है। डल झील पर तैरते हुए इस डाकघर में में सभी सेवाएं उपलब्ध हैं। शिकारा की एक विशेष मुहर को नाविक द्वारा लिफाफे पर डाला जाता हैं। 

यह एक 200 साल पुराना डाकघर है जो महाराजा के शासन काल से पहले ब्रिटिश काल तक सेवा देता था। इसे एक अस्थायी डाकघर कहा जाता था। हजारों लोग इस डाकघर में तस्वीरें लेने के लिए आते हैं। वे यहां से विशेष कवर, पोस्टकार्ड और टिकट खरीद सकते हैं। डाकिया द्वारा पत्र को हाउसबोट तक पहुंचाया जाता है, जो शिकारा को किराए पर लेता है। यह काम कई सालो से चल रहा है और अभी भी इसमें कोई बदलाव नहीं आया है।

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झील पर या उसके आसपास रहने वाले स्थानीय लोगों का कहना है कि इंटरनेट और सोशल मीडिया ने पत्र लिखने और भेजने की प्रक्रिया पर काफी असर डाला है। वहीं कुछ लोग इसे याद करके भावुक हो जाते हैं, पहले के समय में किसी का पत्र आना या भेजना दिल को खुश कर देता था। तैरते हुए डाकघर में पुराने टिकटों का संग्रह है और एक कमरे में एक छोटा संग्रहालय हुआ करता था, जो 2014 की बाढ़ में क्षतिग्रस्त हो गया था।

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