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दैनिक भास्कर हिंदी: अजब गजब: राजस्थान के इस मंदिर में रात में नहीं रुकते लोग, जानें क्या है इसका रहस्य

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत में कुल 10 लाख से भी ज्यादा मंदिर स्थापित हैं, इनकी कुल संख्या बता पाना अभी भी मुमकिन नहीं है। सभी मंदिरों की अलग-अलग खासियत है, कोई अपने ढांचे के लिए मशहूर है, तो कोई रहस्यमय घटनाओं के लिए। भारत में कई मंदिर ऐसे हैं जहां कई प्रकार की रहस्यमय घटनाएं होती रहती हैं, इसकी वजह से भी वह चर्चा का विषय बने रहे हैं। देश के हर कोने में ऐसा ही एक न एक मंदिर आपको देखने मिल जाएगा।
आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। जहां लोग शाम होते ही मंदिर से भागने लगते हैं। रात को गलती से भी उस मंदिर में कोई रूकना नहीं चाहता। कहां है ये मंदिर, क्यों लोग डरते हैं और क्या है मंदिर का रहस्य, आइए जानते हैं...
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कहां स्थित है यह मंदिर..
यह मंदिर राजस्थान के बाड़मेर जिले में मौजूद है, जिसका नाम किराडू मंदिर है। इसे राजस्थान के खजुराहो के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर की बनावट दक्षिणी भारतीय शैली में की गई है, इसकी वास्तुकला यहो की परंपरागत एवं बाहरी प्रभावों का मिश्रण है जिसकी वजह यह दुनियाभर में मशहूर है। कहा जाता है 1161 ईसा पूर्व यह जगह “किराट कूप“ के नाम से जाना जाता था।
इस मंदिर की पांच श्रृंखला है जिसमें शिव मंदिर और विष्णु मंदिर ही थोड़े बेहतर स्थिति में हैं, बाकी मंदिर अब खंडहर बन चुके हैं। साफ तौर पर यह मालूम नहीं चल पाया है कि इस मंदिर का निर्माण किसने किया है, ऐसा माना जाता है कि गुप्त वंश, संगम वंश, या गुर्जर-प्रतिहार वंश ने इसकी स्थापना की होगी।
रात में क्यों नहीं रुकते लोग
इस मंदिर में लोग शाम के बाद रूकने से इसलिए कतराते हैं क्योंकि उनका मानना है कि जो भी शाम के बाद इस मंदिर में रूका वह पत्थर का बन गया। लोग इस बात से डरते हैं कहीं वह भी उस मंदिर में रूक के पत्थर के ना बन जाएं।
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क्या है इस मान्यता के पाछे की वजह
लोगों का कहना है कई साल पहले किराडू मंदिर में एक साधु और उनके शिष्य आए थे। शिष्यों को मंदिर में ही छोड़कर बाहर घूमने चले गए, तभी उनके एक शिष्य की तबियत बिगड़ गई। जब बाकी शिष्यों ने गांव वालों से सहायता मंगी तो किसी ने उनकी सहायता नहीं की। जब सिद्ध साधु वापस आए तो उन्होंने क्रोधित होकर गांव के लोगों को श्राप दे दिया और कहा सूर्यस्त होते ही सारे गांव वाले पत्थर में तबदील हो जाएं।
इस मंदिर से जुड़ी एक और मान्यता है कि एक स्त्री ने शिष्यों की सहायता की थी, इसलिए साधु ने उस स्त्री को गांव छोड़ के जाने को कहा था और पीछे मुड़कर देखने से मना किया था पर उसने पीछे मुड़कर देख लिया और वह पत्थर में तबदील हो गई। उस महिला की मूर्ति को भी मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थापित किया गया है।
भोपाल: स्कोप कॉलेज में विश्वस्तरीय प्रशिक्षण वर्कशाप की स्थापना
डिजिटल डेस्क, भोपाल। स्कोप कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग ने अपने छात्र -छात्राओं के भविष्य को संवारने के लिये भारत के आटोमोबाइल क्षेत्र में अग्रणी कम्पनी हीरो मोटोकार्प के साथ एक करार किया जिसमें ऑटोमोबाइल क्षेत्र में स्किल डेवलपमेंट के लिये एक विश्वस्तरीय प्रशिक्षण वर्कशाप की स्थापना संस्था के प्रांगण में की गई है। ये अपने आप में एक अद्वतीय पहल है तथा सभी अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है। इसमें सभी नवीनतम कम्प्यूटराइज्ड मशीन के द्वारा टू-व्हीलर ऑटोमोबाइल कार्यशाला प्रशिक्षण दिया जायेगा। इस वर्कशाप में उद्घाटन के अवसर पर कम्पनी के जनरल मैनेजर सर्विसेज श्री राकेश नागपाल, श्री मनीष मिश्रा जोनल सर्विस हेड - सेंट्रल जोन, श्री देवकुमार दास गुप्ता - डी जी एम सर्विस, एरिया मैनेजर श्री राम सभी उपस्थिति थे। साथ ही संस्था के वरिष्ठ अधिकारी डॉ. अजय भूषण, डॉ. देवेंद्र सिंह, डॉ. मोनिका सिंह, अभिषेक गुप्ता आदि उपस्थित थे। संस्था के सभी शिक्षकगण तथा छात्र-छात्रायें उपस्थित थे।
कार्यक्रम की शुरूआत सरस्वती वंदना से की गई , डॉ. मोनिका सिंह ने अतिथियों का संक्षिप्त परिचय दिया। डॉ. अजय भूषण ने सभी का स्वागत किया और बताया कि आने वाला समय कौशल विकास आधारित शिक्षा का है। कर्यक्रम में आईसेक्ट ग्रुप के कौशल विकास के नेशनल हेड अभिषेक गुप्ता ने ग्रुप के बारे मे विस्तार से बताया कि किस तरह हमेशा से आईसेक्ट ग्रुप ने कौशल विकास को हमेशा प्राथमिकता से लिया है। कार्यक्रम में एएसडीसी के सीईओ श्री अरिंदम लहिरी ऑनलाइन आकर सभी को बधाई दी तथा छात्र - छात्राओं को उनके उज्जवल भविष्य के लिये शुभाषीस भी दी।
कार्यक्रम में डॉ. देवेंद्र सिंह ने बताया कि कौशल विकास आधारित शिक्षा सनातन काल से भारतवर्ष में चली आ रही है मध्यकालीन समय में कौशल विकास पर ध्यान नही दिया गया परंतु आज के तेजी से बदलते हुए परिवेश में विश्व भर में इसकी आवश्यकता महसूस की जा रही है। इसी आवश्यकता को देखते हुये स्कोप कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में कुछ ही समय में विभिन्न क्षेत्रों के सात सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना की गई है जो की विभिन्न क्षेत्रों मे छात्र- छात्राओं के कौशाल विकास मे महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे।
भोपाल: सीआरपीएफ की 93 महिला पुलिसकर्मियों की बुलेट यात्रा का रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में हुआ आगमन
डिजिटल डेस्क, भोपाल। इंडिया गेट से जगदलपुर के लिए 1848 किमी की लंबी बुलेट यात्रा पर निकलीं सीआरपीएफ की 93 महिला पुलिसकर्मियों का रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई ने विश्वविद्यालय परिसर में आगमन पर भव्य स्वागत किया। लगभग 300 स्वयंसेवकों तथा स्टाफ सदस्यों ने गुलाब की पंखुड़ियों से पुष्प वर्षा करते हुए स्वागत किया। वहीं उनके स्वागत में एन एस एस की करतल ध्वनि से पूरा विश्वविद्यालय परिसर गुंजायमान हो उठा। इस ऐतिहासिक बाइक रैली में शामिल सभी सैन्यकर्मियों का स्वागत विश्वविद्यालय के डीन ऑफ एकेडमिक डॉ संजीव गुप्ता, डिप्टी रजिस्ट्रार श्री ऋत्विक चौबे, कार्यक्रम अधिकारी श्री गब्बर सिंह व डॉ रेखा गुप्ता तथा एएनओ श्री मनोज ने विश्वविद्यालय की तरफ से उपहार व स्मृतिचिन्ह भेंट कर किया। कार्यक्रम की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए डिप्टी कमांडेंट श्री रवीन्द्र धारीवाल व यात्रा प्रभारी श्री उमाकांत ने विश्वविद्यालय परिवार का आभार किया। इस अवसर पर लगभग 200 छात्र छात्राएं, स्वयंसेवक व एनसीसी कैडेट्स समस्त स्टाफ के साथ स्वागत में रहे मौजूद।
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