तुर्की के इस मंदिर में प्रवेश करते ही हो जाती है मौत! कहा जाता है नरक का द्वार

अजब-गजब तुर्की के इस मंदिर में प्रवेश करते ही हो जाती है मौत! कहा जाता है नरक का द्वार

Anchal Shridhar
Update: 2022-11-27 12:38 GMT
तुर्की के इस मंदिर में प्रवेश करते ही हो जाती है मौत! कहा जाता है नरक का द्वार

डिजिटल डेस्क, भोपाल। दुनिया में ऐसे कई रहस्यमयी स्थान मौजूद हैं जिनके बारे में जानकार लोग हैरान रह जाते हैं। इन हैरंतअंगेज जगहों को लेकर कई तरह के दावे लोगों द्वारा किए जाते हैं। ऐसा ही एक स्थान तुर्की के हिरापोलिस शहर में स्थित है। यहां मौजूद सैंकड़ो साल पुराने मंदिर को लोग गेट ऑफ हेल यानी नरक का द्वार कहकर बुलाते हैं। इस मंदिर को ऐसा नाम देने के पीछे इससे जुड़ी मान्यता है। स्थानीय लोगों का मानना है कि जो भी इस मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश करता है उसकी मौत हो जाती है। यहां तक की लोगों के अनुसार तो मंदिर के अंदर जाने वाले शख्स का शरीर भी नहीं मिलता है। 

इस कारण कहा जाता है नरक द्वार

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक यहां बीते कई सालों से रहस्यमयी तरीकों से लोगों की मौत हो रही हैं। साइंस अलर्ट वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले कुछ सालों से इस मंदिर के संपर्क में आने वाले लोग अपना जीवन गंवा चुके हैं। चौंका देने वाली यह है कि इस मंदिर के पास आने वाले जानवर भी जिंदा नहीं बचते हैं। इन्हीं वजह से तुर्की के लोग इसे नरक का द्वार कहकर बुलाते हैं। 

स्थानीय इसे मानते हैं मौत की वजह

पिछले कई सालों से हो रही मौतों के पीछे का कारण स्थानीय लोग ग्रीक देवता की जहरीली सांस को मानते हैं। लोगों की मान्यता के अनुसार मंदिर के अंदर मौजूद ग्रीक देवता द्वारा छोड़ी गई जहरीली सांसो के चलते लोगों समेत जानवरों पक्षियों की मौत हो जाती है। उनके मुताबिक रोमन काल के समय मंदिर के संपर्क करने वाले व्यक्ति का सिर धड़ से अलग कर दिया जाता था। 

वैज्ञानिकों ने बताई असली वजह

मंदिर में प्रवेश करते ही होने वाली इन मौतों के पीछे वैज्ञानिकों ने अलग कारण बताया है। उनके अनुसार, मंदिर के नीचे से लगातार कार्बनडाइऑक्साइड गैस का रिसाव हो रहा है। जिसके चलते मनुष्य, पशु और पक्षी इसके संपर्क में आने के बाद जिंदा नहीं बच पाते हैं। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक अपने अध्ययनों में वैज्ञानिकों को मंदिर के तहखाने में मौजूद गुफा में प्रचुर मात्रा में कार्बनडाइऑक्साइड मिली है। अपने शोध में वैज्ञानिकों ने पाया कि इस गुफा में कार्बनडाइऑक्साइड की मात्रा करीब 91 प्रतिशत है। जबकि 30 मिनट तक केवल 10 प्रतिशत कार्बनडाइऑक्साइड से ही किसी भी जीव की मौत हो सकती है। 
 

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