जानिए किस कारण से काले होते हैं गाड़ियों के टायर

जानिए किस कारण से काले होते हैं गाड़ियों के टायर

Bhaskar Hindi
Update: 2018-12-19 08:39 GMT
जानिए किस कारण से काले होते हैं गाड़ियों के टायर
हाईलाइट
  • इंडिया में ही नहीं बल्की विदेशों में भी गाड़ियों के टायरों का रंग काला ही होता है। इसके पीछे एक बहुत बड़ा रहस्य छुपा हुआ है।
  • गाड़ी के टायर का रंग काला ही क्यों होता है

डिजिटल डेस्क। अक्सर आप लोगों ने देखा होगा कि गाड़ियों के टायर काले होते हैं लेकिन क्या ये जानते हैं कि हर गाड़ी का टायर काला ही क्यों होता है, जबकि छोटे बच्चों की साइकिलों का रंग रंग-बिरंगी होता है। काला, सफेद, पीला आदि। तो गाड़ियों के टायरों का कलर नीला, पीला, गुलाबी, सफेद क्यों नहीं होता, आखिर क्यों टायर बनाने वाली कंपनी इस तरह के रंग के टायर नहीं बनाती। आप भी कभी न कभी सोचते होगें ही कि आखिर ऐसा क्यों होता है। तो चलिए जानते हैं कि ऐसा क्यों है।


इंडिया में ही नहीं बल्की विदेशों में भी गाड़ियों के टायर काले ही होते है। इसके पीछे एक  बहुत बड़ा रहस्य छुपा हुआ है। टायर बनाने वाली सभी कंपनियां टायरों का रंग काला ही रखना पंसद करती हैं। तो आईए जानते हैं कि आखिर गाड़ियों के टायर हमेशा काले ही क्यों होते है।

जैसा कि ये तो हम सभी जानते हैं कि टायर रबड़ से बनता है लेकिन प्राकृतिक रबड़ का रंग तो स्लेटी होता है और जब रबर का रंग स्लेटी है तो  फिर टायर काला कैसे? होता क्या है कि जब टायर बनाया जाता है तो रबर का रंग बदला जाता है जिससे ये स्लेटी से काला हो जाता है। इस टायर बनाने की प्रक्रिया को वल्कनाइजेशन कहते हैं। टायर बनाने के लिए रबर में काला कार्बन भी मिलाया जाता है, जिससे रबर जल्दी नहीं घिसती। अगर सादा टायर 10 हजार किलोमीटर चल सकता है तो कार्बन युक्त टायर एक लाख किलोमीटर या इससे भी ज्यादा अधिक चल सकता है। इसमें काला कार्बन इस लिए मिलाया जाता है ताकि टायर अधिक दिनों तक चल सकें। अगर टायर में साधारण रबर लगा दिया जाए तो वह जल्दी घिस जाएगा और ज्यादा दिनों तक नहीं चलेगा। 

रबर मुलायम होगी या सख्त ये इस बात पर निर्भर करता है कि कौन सी श्रेणी का कार्बन उसमें मिलाया गया हैं। आपको बता दें कि काले कार्बन के कई प्रकार होते हैं। मुलायम रबर के टायरों की पकड़ मजबूत होती है लेकिन ये जल्दी घिस जाते हैं, जबकि सख्त रबर के टायर आसानी से नहीं घिसते और लंबे समय तक चलते हैं।

टायर बनाते वक्त उसमें सल्फर मिलाया जाता है और कार्बन काला होने के कारण यह अल्ट्रा वॉयलेट किरणों से भी बच जाता है। अगर कभी आपने जलते हुए टायर को देखा हो तो आपको पता होगा कि उसमें धुआं बहुत ही काला निकलता है। उसकी वजह भी ब्लैक कार्बन और सल्फर होता है।

आप देखते होंगे कि बच्चों की साइकिलों में सफेद, पीले और दूसरे रगों के टायर लगे होते हैं। इसका कारण यह है कि बच्चों की साइकिल सड़कों पर ज्यादा नहीं चलती हैं और बच्चों की साइकिलों में कार्बन नहीं मिलाया जाता है, इस कारण साइकिलों के टायर अधिक दिनों तक नहीं चलते हैं साथ ही जल्दी घिस भी जाते हैं। 

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