भारत का वो गांव,जहां पक्षी करते हैं आत्महत्या,रहस्यमयी ताकतों का हैं प्रकोप

भारत का वो गांव,जहां पक्षी करते हैं आत्महत्या,रहस्यमयी ताकतों का हैं प्रकोप

Bhaskar Hindi
Update: 2021-04-13 07:06 GMT
भारत का वो गांव,जहां पक्षी करते हैं आत्महत्या,रहस्यमयी ताकतों का हैं प्रकोप

डिजिटल डेस्क,भोपाल। इंसानों में आत्महत्या करने की प्रवृति तो आम बात हैं, लेकिन पक्षियों के लिए ये अलग बात है। पूर्वोत्तर के सबसे बड़े राज्य असम में एक ऐसा गांव हैं,जहां हर साल हजारों की तादाद में पक्षी खुदकुशी कर लेते है। असम के दिमा हासो जिले की पहाड़ी में स्थित जतिंगा घाटी पक्षियों के सुसाइड पॉइंट के लिए काफी मशहूर है। यहां हर साल सितंबर के महीने में पक्षी आत्महत्या कर लेते है।

क्या हैं वजह

  • स्थानीय लोगों के अनुसार, हवाओं में कोई रहस्यमयी ताकत आ जाती है,जो पक्षियों को ऐसा करने पर विविश करती है। इस दौरान इंसानों का अपने घर से बाहर निकलना भी खतरें से खाली नहीं होता है।
  • हर साल सितंबर-अक्तूबर के दौरान जतिंगा की सड़कें शाम के समय एकदम सुनसान हो जाती हैं।
  • पक्षी विशेषज्ञों के अनुसार, चुंबकीय ताकत इस घटना का कारण है।
  • जब कोहरा घना होता हैं और मौसम में नमी रहती हैं उस वक्त हवाएं तेजी से बहती हैं, जिसकी वजह से रात के अंधेरे में पक्षी रोशनी के आसपास उड़ने लगते हैं।
  • लेकिन रोशनी कम होने के कारण उन्हें साफ दिखाई नहीं देता है, जिसके कारण पक्षी किसी इमारत, पेड़ या वाहनों से टकरा जाते हैं। ऐसे में जतिंगा गांव में शाम के वक्त गाड़ियां चलाने पर मनाही हो गई हैं ताकि रोशनी न हो। हालांकि, इसके बावजूद भी पक्षियों की मौत लगातार हो रही है।
  • ये पक्षी शाम 7 से रात 10 बजे के बीच ही ऐसा करते हैं, जबकि आम मौसम में इन पक्षियों की प्रवृति दिन में ही बाहर निकलने की होती है और रात में वे घोंसले में लौट जाते हैं।
  • आत्महत्या की इस रेस में स्थानीय और प्रवासी पक्षियों की करीब 40 प्रजाति शामिल हैं। प्राकृतिक कारणों से जतिंगा गांव नौ महीने बाहरी दुनिया से अलग-थलग ही रहता है। इतना ही नहीं, जतिंगा घाटी में रात में प्रवेश करना प्रतिबंधित है।


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