शहर-ए-इत्र कन्नौज..जहां हर घर में बनता है इत्र
शहर-ए-इत्र कन्नौज..जहां हर घर में बनता है इत्र
डिजिटल डेस्क, कन्नौज। उत्तर प्रदेश का एक छोटा सा शहर है कन्नौज, जिसे शहर-ए-इत्र भी कहा जाता है। इस शहर में आप कंही से भी गुजरेंगें तो इस शहर के कोने कोने में बसी इत्र की खुशबू आपको जकड़ लेगी, और आपको आगे नहीं बढ़ने देगी। कहते हैं यहां बारिश के बाद की बूंदों में लिपटी मिट्टी की भीनी खुशबू भी आपको कांच की शीशी में मिलेगी।
5000 साल से ज्यादा पुराना है ये हुनर
इस शहर का ये हुनर 5000 साल से भी पुराना है और यंहा आज भी पारंपरिक तरीके से ही इत्र बनाया जाता है। कन्नौज के हुनरमंद हुनरमंद गुलाब, मोंगरा, बेला, चंपा, चमेली, गेंदा और यहां तक कि मिट्टी से भी उसका अर्क निकाल कर बोतलों में कैद कर लेने की कला में माहिर हैं।
हर्बल इत्र बनाने में देश में नंबर-1 कन्नौज
यूं ही गुलजार रहे तेरा चमन, सदियों तलक महके ये आबाद वतन.. यूपी की राजधानी लखनऊ से 130 किमी दूर कन्नौज इत्र के लिए ही जाना जाता है। कन्नौज में लगभग 200 इत्र के कारखाने हैं। इत्र ऑयल बेस्ड सेंट होते हैं, जिससे इसकी खुशबू देर तक बनी रहती है, हर्बल इत्र के उत्पादन में कन्नौज पूरे विश्व में पहले नंबर पर है।
पारंपरिक तरीके से बनता है इत्र
यहां हाइड्रो डिस्टिलेशन तकनीक से इत्र बनाया जाता है, इत्र बनाने में कई दिन लग जाते हैं। फूलों को पानी में मिला कर तांबे के बर्तनों में गर्म किया जाता है, खुशबूदार भांप बांस के पाइपों के सहारे धीरे-धीरे एक संवाहक में पहुंचती है। इत्र के लिए चंदन का तेल मूल तत्व का काम करता है, कई तरह की प्रकियाओं से गुजरने के बाद बनता है आपका हर्बल इत्र, यहां के सबसे खास मिट्टी से बने इत्र का प्रयोग इलाज के लिए भी किया जाता है।