डाग भी होते हैं बेहद मूडी, मैनर्स और एटिकेट्स की भी देते हैं ट्रेनिंग

डाग भी होते हैं बेहद मूडी, मैनर्स और एटिकेट्स की भी देते हैं ट्रेनिंग

Bhaskar Hindi
Update: 2017-11-17 16:19 GMT
डाग भी होते हैं बेहद मूडी, मैनर्स और एटिकेट्स की भी देते हैं ट्रेनिंग

डिजिटल डेस्क, नागपुर। डॉग पालना शौक और पैशन भी बन गया है। घरों में डाग पालने वाले लोग बड़े ही अलग अंदाज में उनसे बातें करते देखे जा सकते हैं। लीली खाना खाओ, लीली जंप करो, पेपर उठा कर लाओ। यह बातें उन घरों में सुनाई दे जाती हैं, जहां पालतू पेट्स होते हैं। डॉग में मैनर्स और एटिकेट्स के लिए उनके पालक बखूबी ट्रेनिंग दिलवा रहे हैं, ताकि उनका डॉगी उनके कहे अनुसार घर का छोटा-छोटा काम कर सके, जंप कर सके, घर के बच्चों के साथ खेल सके। सबसे बड़ी बात यह कि श्वान घर की रखवाली अच्छी तरह से करें। इसके लिए पर्सनल ट्रेनर से उन्हें ट्रेनिंग दिलवाई जा रही है। डॉग्स भले ही बेजुबान हैं, मगर वो हमारी भाषा जरूर समझ सकते हैं। यदि आपका डॉग अभी छोटा है, तो यही सही समय है उसे ट्रेनिंग दिलाने का, ताकि वो आपकी भाषा समझ सके।

मूड के अनुसार करना होता है काम

डॉग बहुत मूडी होते हैं। उनके मूड के अनुसार ही काम करना पड़ता है। डॉग्स को पालने के साथ ही उनकी ग्रूमिंग, वेक्सिनेशन तथा उनकी साफ-सफाई का ध्यान भी रखना चाहिए, ताकि वे अच्छा दिखें। इसके साथ ही उन्हें फैमिली मेम्बर्स की तरह ट्रीट करना चाहिए, तभी वे हमारी बातों का समझते हैं। उनसे जितना फ्रेंडली रहेंगे वे आपसे उतना ही प्यार करेंगे। मैं डॉग्स को रिंग मे से निकलना, जंप कराना, घर के छोटे-छोटे काम कराना, घर की सुरक्षा आदि की ट्रेनिंग देता हूं।  
हेमंत किन्हीकर, डॉग ट्रेनर

2 माह से ही दे रहे ट्रेनिंग

लीली अभी एक साल की है। जब वो 2 माह की थी तभी से उसे ट्रेनिंग दी जा रही है। अब तो हमारी बहुत सारी बात समझ जाती है। इतनी समझदार है कि अगर घर पर कोई गेस्ट आता है, तो उसे एक बार ही मना किया जाता है, तो वो उसे तंग नहीं करती है। हम उसे बोलते हैं कि लीली पेपर लेकर आओ तो, वह तुरंत पेपर लेकर आ जाती है। घर की सुरक्षा के लिए हम उसे ट्रेंड करा रहे है। 
वैशाली कांवरे, सिविल लाइंन

फैमिली का खास मेंबर है

अब स्कीपी इतना ट्रेंड हो गया है कि उससे जिस भी लैंग्वेंज में बात करें समझ जाता है। डेढ़ साल का स्कीपी सभी को एंटरटेन करने के साथ घर का ख्याल भी रखता है। वो भी हमारी फैमिली का खास मेम्बर है। स्कीपी भले ही बोल नहीं पाता है, पर वो हमारी हर बात समझता है। हमें अगर दुखी देखता है, तो वो भी दुखी होता है। स्कीपी को ट्रेनिंग देने के लिए हमने ट्रेनर रखा है, जो उसे सारी बातें सिखाता है। 
चंद्रशेखर सर्वटे, सिविल लाइंन

Similar News