हैरान कर देने वाली जगह, यहां होती है सिर्फ 40 मिनट की रात

अजब-गजब हैरान कर देने वाली जगह, यहां होती है सिर्फ 40 मिनट की रात

Neha Kumari
Update: 2022-01-04 07:06 GMT
हैरान कर देने वाली जगह, यहां होती है सिर्फ 40 मिनट की रात

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पूरा विश्व प्रकृति के नियमों के मुताबिक ही चलता है। पृथ्वी पर कोई भी घटना घटित होती है तो वह प्रकृति की वजह से होती है। सूर्य का निश्चित समय पर निकलना, अस्त होना, दिन व रात का होना, चाँद का दुधिया रोशनी देना, दिन-रात का छोटे-बड़े होना ये सब प्रकृति के नियम अनुसार ही होता है। सूर्योदय के कारण ही 24 घंटे के दिन-रात होते है। क्या आपको ऐसी किसी जगह के बारे में पता है जहां सूर्य उदय होता ही नहीं और यदि सूर्योदय होता भी है तो मात्र 40 मिनट के लिए होता है? आइए जानते है उस देश के बारे में जहां सूरज बहुत कम समय के लिए निकलता है।

ग्लेशियरों से भरा पड़ा है नार्वे देश
यूरोप महाद्विप के उत्तर में स्थित नार्वे एक ऐसा देश है जहां बर्फीली पहाड़ियां और ग्लेशियर है जिसके कारण यहां कभी दिन नहीं ढलता। नार्वे में मात्र 40 मिनट की रात होती है बाकि समय यहां सूर्य की रौशनी होती है। रात को 12 बजकर 43 मिनट पर सूर्य अस्त हो जाता है। ऐसा पूरे ढाई महीने तक चलता है। जिसकी वजह से इसे "कंट्री ऑफ मिडनाइट सन" कहा जाता है। मई से जुलाई कुल 76 दिनों तक यह प्रक्रिया चलती है। इस समय के दौरान यहां सूरज अस्त नहीं होता है। नार्वे देश आर्किटिक सर्कल के अंदर आता है। इस देश की तरह ही हेमरफेस्ट शहर है यहां भी नार्वे देश की तरह ही दृश्य देखने को मिलता है। नार्वे में ही एक ऐसी जगह है जहां 100 सालों से रौशनी नहीं पहुंची है। इसकी वजह से पूरा शहर पहाड़ों से घिरा हुआ है। इस जगह की सुंदरता को देखने के लिए कई पर्यटक यहां घुमने के लिए आते हैं।

क्या है सूरज की परिक्रमा का वैज्ञानिक कारण
वैज्ञानिकों के अनुसार सूर्य अपनी जगह पर स्थित रहता है। पृथ्वी, सूर्य का एक चक्कर 365 दिनों में पूरा कर लेती है। साथ ही साथ वह अपनी जगह पर भी घूमती है। इस प्रक्रिया के कारण धरती पर दिन और रात होते हैं। दिन-रात का समय कम एवं ज्यादा हो सकता है। बता दें कि पृथ्वी का कोई वास्तविक अक्ष नहीं होता है। वह अपनी जगह पर 66 डिग्री का कोण बनाते हुए जब घुमती है तो एक उत्तर और दूसरा दक्षिण दिशा में दो बिंदू बनते हैं जिसे सीधी रेखा से जोड़ दिया जाता है। जिससे एक धुरी बनती है। यही कारण है कि पृथ्वी 23 डिग्री झुकी होती है। जिससे दिन और रात छोटे-बड़े होते हैं। केवल 21 जून और 22 दिसंबर के दिन सूर्य की रौशनी धरती पर समान भागों में नहीं फैलती है। इसकी वजह से दिन-रात के समय में अंतर देखने को मिलता है। नार्वे की मिडनाइट वाली घटना का सीधा संबंध भारत में 21 जून से है। इस समय पृथ्वा का पूरा हिस्सा 66 डिग्री उत्तरी अक्षांश से 90 डिग्री उत्तरी अक्षांश तक सूरज की रौशनी में रहता है। इसका अर्थ या हुआ कि इस दिन 24 घंटे का दिन रहता है, रात नहीं होती है। इसी वजह से नार्वे देश में आप आधी रात के समय भी सूर्योदय देख सकते है।

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