भारत के इस शहर में बसी थी पहली 'न्यूड कॉलोनी', बिना कपड़ों के रहते थे लोग

भारत के इस शहर में बसी थी पहली 'न्यूड कॉलोनी', बिना कपड़ों के रहते थे लोग

Bhaskar Hindi
Update: 2017-08-03 04:09 GMT
भारत के इस शहर में बसी थी पहली 'न्यूड कॉलोनी', बिना कपड़ों के रहते थे लोग

डिजिटल डेस्क, मुंबई। क्या आपने कभी सोचा है कि भारत जैसे संस्कारी और पारंपरिक देश में पहली "न्यूड कॉलोनी" बस सकती है। जहां पर लोगों के कपड़े पहनने पर पूरी तरह से पाबंदी थी। तो हम आपको बता दें कि ये बात सच है कि भारत में पहली "न्यूड कॉलोनी" अंग्रेजों ने बसाई थी। इस कॉलोनी को "गे गुरु" कहे जाने वाले चार्ल्स गॉर्डन एडवर्ड क्रॉफर्ड ने की थी और इसका नाम था- "द फेलोशिप ऑफ नेकेड ट्रस्ट"। 

मुंबई में बसी थी ये "न्यूड कॉलोनी"

आज से करीब 125 साल  पहले यानी 1891 में इस कॉलोनी को मुंबई के थाणे में बसाया गया था। इसे बसाने वाले चार्ल्स एडवर्ड ब्रिटिश इंडिया में चार्ल्स डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज थे। इसके अलावा चार्ल्स कवि भी थे और ऐसा कहा जाता है कि उनके रविन्द्र नाथ टैगोर से भी अच्छी दोस्ती थी। "द फेलोशिप ऑफ नेकेड ट्रस्ट" का जिक्र उन लेटरों में मिला है जो चार्ल्स ने एडवर्ड को लिखे थे। शुरुआत में इसके तीन मेंबर थे- चार्ल्स, एंड्रयू और केलॉग काल्डरवुड। 

दो दिन का न्यूड हॉली-डे मनाया गया

एक लेटर में चार्ल्स ने लिखा है कि हम तीनों ने यहां पर दो दिन का हॉलीडे मनाया था। इस दौरान हम तीनों बिना कपड़ों के ही रहे और हमने सभी नौकरों को छुट्टी पर भेज दिया था। 

शादी के बाद कर दिया इसे बंद

बताया जाता है कि इस न्यूड क्लब में शुरुआत में 3 मेंबर ही थै, लेकिन बाद में कई महिलाओं ने भी इसमें शामिल होने की इच्छा जताई लेकिन उन्हें मना कर दिया। बाद में चार्ल्स ने एथेल नाम की महिला से शादी करली और इस क्लब को बंद कर दिया गया। 
           
  

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