बच्चों से फीस के बदले प्लास्टिक और घर का कचरा लेता है ये अनोखा स्कूल 

बच्चों से फीस के बदले प्लास्टिक और घर का कचरा लेता है ये अनोखा स्कूल 

Bhaskar Hindi
Update: 2019-05-03 05:35 GMT

डिजिटल डेस्क, असम। कहते हैं कि हर काम की पहचान तभी होती है जब वो अपने आप कुछ अनोखा हो, कुछ नयापन लिए हो। अब तक आपने कई तरह के स्कूलों और उनकी सुविधाओं के बारे में सुना होगा लेकिन आज हम आपको असम के एक ऐसे स्कूल के बारे में बताने जा रहे हैं जो इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है। इस अनोखे और असामान्य स्कूल की सबसे बड़ी खासियत है कि यहां बच्चों से फीस के रूप में प्लास्टिक का कचरा लिया जाता है।

जी हां ये सच है। ये अनोखा स्कूल असम के पमोही में है। जानकारी के लिए बता दें कि 2013 में माजिन मुख्तार एक खास प्रोजेक्ट के तहत न्यूयॉर्क से भारत आए थे जहां उनके काम के सिलसिले में उनकी मुलाकात परमिता शर्मा से हुई जो टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) में सामाजिक कार्य में परास्नातक की पढ़ाई कर रही थीं। 

संयोग से वह भी शिक्षा के क्षेत्र में काम करने की योजना बना रही थीं और इसके बाद माजिन और परमिता ने मिलकर सामाजिक चुनौतियों का सामना करते हुए "अक्षरा" नाम से एक स्कूल शुरू किया, जो पारंपरिक शिक्षाविदों और व्यावसायिक शिक्षा के बीच के अंतर की खाई को पाटने के लिए भी प्रतिबद्ध है। उसी समय से उन्होंने स्कूल में फीस के बदले घर का कचरा लेना शुरू कर दिया। हैरानी वाली बात कि उसी समय से अब तक यह स्कूल चल भी रहा है। जिसके कारण यह स्कूल सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है। 

बातचीत में परमिता ने बताया कि हमने जून 2016 में स्कूल की स्थापना की और उनके मुताबिक, हम सभी के लिए एक मुफ्त स्कूल शुरू करना चाहते थे, लेकिन इस क्षेत्र में एक बड़ी सामाजिक और पारिस्थितिक समस्या के पनपने का अहसास होने के बाद हम दोनों इस विचार पर अड़ भी गए थे। उन्होंने आगे कहा कि क्लास रूम हर बार जहरीले धुएं से भर जाते थे, ऐसा इसलिए क्योंकि आस-पास का कोई व्यक्ति प्लास्टिक जला देता था और वे इसमें बदलाव के पक्ष में थे, इसलिए उन्होंने अपने छात्रों को स्कूल की फीस के रूप में अपने प्लास्टिक कचरे को लाने के लिए प्रोत्साहित करना शुरू कर दिया था।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 


 

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