अजब-गजब: दुनिया के इन देशों में दूसरे धर्म में शादियों पर है सख्त पाबंदी

अजब-गजब: दुनिया के इन देशों में दूसरे धर्म में शादियों पर है सख्त पाबंदी

Bhaskar Hindi
Update: 2020-10-18 09:04 GMT
अजब-गजब: दुनिया के इन देशों में दूसरे धर्म में शादियों पर है सख्त पाबंदी

डिजिटल डेस्क। तनिष्क के विज्ञापन पर शुरू हुए विवाद के बीच एक बार फिर दूसरे धर्म में शादी को लेकर चर्चा चल पड़ी है। गहनों के प्रमोशन के लिए तनिष्क ने एक विज्ञापन निकाला था, जिसमें दो अलग-अलग समुदायों के लोग शादी करते दिखाई दे रहे हैं। इस विज्ञापन को लेकर लव जेहाद की बात करते हुए तनिष्क को सोशल मीडिया पर काफी ट्रोल किया गया। विवादों में घिरने के बाद तनिष्क ने इस विज्ञापन को दिखाना बंद कर दिया है। बता दें कि केवल भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के कई अन्य देशों में अंतर-धार्मिक विवाह पर सख्त पाबंदी है।

खासतौर पर इस्लामिक देशों में मुस्लिम महिलाएं दूसरे धर्म में शादी नहीं कर सकती हैं। लेकिन मुस्लिम पुरुष कुछ शर्तों के साथ दूसरे धर्म की लड़की से शादी कर सकते हैं। इसे कितबिया या किताबी भी कहते हैं, जिसका मतलब है किताब में जिनका जिक्र हो। अफगानिस्तान में सुन्नी मुस्लिमों के लिए यही नियम है। इस नियम के मुताबिक, मुस्लिम पुरुष कितबिया गैर-मुस्लिम से शादी कर सकता है। हालांकि, मुस्लिम लड़की की शादी किसी दूसरे धर्म में नहीं हो सकती है।

अल्जीरिया में भी कुछ इसी तरह का कानून है। वैसे तो इस देश में लॉ ऑफ पर्सनल स्टेटस 1984 लागू है, जो शादी के बारे में अलग से कोई बात नहीं कहता है। हालांकि इसकी धारा 222 में इस्लामिक शरिया को मानने की बात कही गई है। इसके तहत दोबारा वही बात आती है कि कोई मुस्लिम पुरुष मुस्लिम महिलाओं के अलावा केवल कैथोलिक या यहूदियों से शादी कर सकता है, जबकि मुस्लिम महिलाओं को ये छूट भी नहीं मिली है। बहरीन में भी इसी तरह के नियमों का पालन किया जाता है।

भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में हनाफी मान्यता के मुताबिक, मुस्लिम पुरुष अपने मजहब की महिला के अलावा यहूदी या क्रिश्चियन महिलाओं से शादी कर सकता है। लेकिन मूर्ति पूजा करने वालों यानी हिंदुओं से शादी करना मना है। वहीं अन्य देशों की तरह बांग्लादेश में भी मुस्लिम महिलाएं केवल और केवल मुस्लिम युवक से ही शादी कर सकती हैं। हालांकि, बांग्लादेश में हिंदू आबादी भी है। ऐसे में अगर हिंदू और मुस्लिम आपस में शादी करते हैं, तो ये शादी Special Marriage Act, 1872 के तहत वैध हो जाती है।

ब्रुनेई में गैर मजहबी शादी पर किसी तरह का रोक नहीं है। खासतौर पर Islamic Family Law Act (16) ऐसी कोई बात नहीं करता, जिससे ये कहा जा सके कि वहां दूसरे मजहब में शादी नहीं हो सकती है। वहीं फैमली लॉ एक्ट की धारा 47 में साफ है कि अगर शादी में कोई भी एक पार्टी धर्म छोड़ देती है या मुस्लिम से अलग धार्मिक मान्यता ले लेती है, तो उसकी शादी तब तक मान्य नहीं होगी जब तक खुद कोर्ट न कह दे।

बता दें कि इस्लामिक कानून मानने वाले ऐसे 29 देश हैं, जो दो मजहबों के बीच शादी को मान्यता नहीं देते हैं। इनके साथ-साथ वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी भी हैं, जिसमें मुस्लिमों को दूसरे मजहबों में शादी की मनाही है। ईरान और इराक में ये नियम काफी सख्त हैं और अगर कपल में से एक की धार्मिक मान्यता मुस्लिम न हो, तो उन्हें अलग कर दिया जाता है।

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