कोरोना से 20 लाख टन नहीं बिकी चीनी, ठंडी पड़ी आइस्क्रीम, सॉफ्ट ड्रिंक की मांग

कोरोना से 20 लाख टन नहीं बिकी चीनी, ठंडी पड़ी आइस्क्रीम, सॉफ्ट ड्रिंक की मांग

IANS News
Update: 2020-06-21 11:30 GMT
कोरोना से 20 लाख टन नहीं बिकी चीनी, ठंडी पड़ी आइस्क्रीम, सॉफ्ट ड्रिंक की मांग

नई दिल्ली, 21 जून (आईएएनएस)। देश के विभिन्न हिस्सों में होटल, कैंटीन, ढाबा, रेस्तरां खुलने से चीनी की मांग में भी धीरे-धीरे बढ़ोतरी होने लगी है, जिससे नकदी के संकट से जूझ रही चीनी मिलों की आर्थिक सेहत सुधरने की उम्मीद जगी, लेकिन कोरोना ने चालू सीजन में 20 लाख टन चीनी की खपत में चपत लगा दी है, जिसकी कसक उद्योग को बनी हुई है।

कोरोनावायरस के प्रसार पर लगाम लगाने के मकसद से केंद्र सरकार ने जब 25 मार्च से देश में पूर्ण बंदी की घोषणा की थी, उस समय भी देश की तमाम चीनी मिलें चल रही थीं और उत्पादन, आपूर्ति व विपणन कार्य पर कोई रोक नहीं थी, लेकिन होटल, रेस्तरां, कैंटीन, मॉल, सिनेमा हॉल आदि के बंद होने से आइस्क्रीम और सॉफ्ट ड्रिंक की बिक्री में भारी गिरावट आई, जिसका असर चीनी उद्योग पर पड़ा।

उद्योग संगठन नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज (एनएफसीएसएफ) के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे ने आईएएनएस को बताया कि गर्मी का मौसम शुरू होने से पहले आइस्क्रीम, सॉफ्ट ड्रिंक व अन्य शीतल पेय पदार्थों के लिए चीनी की मांग हर साल बढ़ जाती है, लेकिन इस साल चीनी की गर्मी की वह मांग ठंडी पड़ गई और लॉकडाउन के दौरान घरेलू मिलें करीब 20 लाख टन चीनी नहीं बेच पाईं।

मतलब कोरोना ने चीनी की 20 लाख टन की खपत में चपत लगा दी।

हालांकि उन्होंने कहा कि जून में धीरे-धीरे चीनी की मांग जोर पकड़ रही है, जिससे कीमतों में भी सुधार हुआ है, जिससे नकदी के संकट से जूझ रही चीनी मिलों की वित्तीय सेहत में आने वाले दिनों में थोड़ा सुधार होगा और किसानों के बकाये का भुगतान करने के साथ-साथ मिलों के कर्मचारियों का रूका वेतन देने में सहूलियत मिलेगी।

क्या कोरोना महामारी का प्रकोप छाने के पूर्व चीनी की जो मांग थी, क्या उस स्तर पर जून में बिक्री होने लगी है। इस सवाल पर नाइकनवरे ने कहा, हम यह नहीं कह सकते हैं कि प्री.कोविड स्टेज पर जो मांग थी उस स्तर पर अभी मांग है। असल में पाइपलाइन खाली थी इसलिए मांग बढ़ी है, लेकिन मार्च में लॉकडाउन होने से पहले के स्तर पर मांग नहीं निकली है। लॉकडाउन होने के बाद मार्च, अप्रैल और मई के दौरान आइस्क्रीम, सॉफ्ट ड्रिंक, चॉकलेट, कैंटीन, रेस्तरां, शादियां आदि की जो मांग थी वह तकरीबन 20 लाख टन नहीं निकल पाई।

सरकार ने चीनी मिलों के लिए मार्च में 21 लाख टन अप्रैल में 18 लाख टन और मई में 17 लाख टन चीनी बेचने का कोटा तय किया जो संबंधित महीने में नहीं बिकने के कारण अगले क्रमश: अगले महीने में कोटे को बढ़ा दिया गया।

दिल्ली के चीनी कारोबारी सुशील कुमार ने भी बताया कि लॉकडाउन खुलने के बाद चीनी की मांग थोड़ी बढ़ी है, लेकिन अभी मांग पूरी तरह से जोर नहीं पकड़ पाई है।

ााइकनवरे ने बताया कि चीनी के एक्स.मिल रेट में पिछले कुछ दिनों में एक रूपया प्रति किलो का इजाफा हुआ है। उन्होंने कहा कि नकदी की समस्या दूर होने पर किसानों के बकाये का भुगतान करने में भी मदद मिलेगी।

देशभर में गन्ना उत्पादक किसानों का चीनी मिलों पर बीते सप्ताह तक करीब 22500 करोड़ बकाया था। नाइकनवरे ने बताया कि इसमें सबसे ज्यादा 17000 करोड़ रुपये का बकाया उत्तर प्रदेश के गन्ना उत्पादकों का था।

चालू शुगर सीजन 2019-20 अक्टूबर-सितंबर में चीनी का उत्पादन बंद हो गया है। उद्योग संगठन के अनुसार, देश में इस साल चीनी का उत्पादन करीब 272 लाख टन है।

बाजार सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, देश की राजधानी दिल्ली में चीनी का थोक भाव शनिवार को 3560.3620 रुपये प्रतिक्विंटल था। दिल्ली में चीनी की आपूर्ति उत्तर प्रदेश मिलों से आती है। उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों का एक्स.मिल रेट शनिवार को 3340-3380 रुपये प्रतिक्विंटल था।

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