IT के छापे में लैब और डॉक्टरों की मिलीभगत का खुलासा, ऐसे ठगते थे मरीजों को

IT के छापे में लैब और डॉक्टरों की मिलीभगत का खुलासा, ऐसे ठगते थे मरीजों को

Bhaskar Hindi
Update: 2017-12-02 18:13 GMT
IT के छापे में लैब और डॉक्टरों की मिलीभगत का खुलासा, ऐसे ठगते थे मरीजों को

डिजिटल डेस्क, बेंगलुरु। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के ऑफिसर्स ने डॉक्टरों और मेडिकल सेंटरों की मिलीभगत से हो रहे करोड़ों रुपए के घोटाले का पर्दाफाश किया है। इस खुलासे के बाद से अब तक मामले में 100 करोड़ रुपए की अघोषित संपत्ति (कालेधन) का पता चला है। डिपार्टमेंट ने कई आईवीएफ क्लीनिक्स और डायग्नोस्टिक सेंटरों पर छापा मारा था। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने दावा किया कि मेडिकल जांचों की खातिर मरीजों को भेजने के लिए डॉक्टरों को रुपए दिए जा रहे थे।

छापे से पहले इनकम टैक्स ऑफिसर्स द्वारा तीन दिन तक दो आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) सेंटरों और पांच डायग्नोस्टिक सेंटरों की जांच की गई थी। इसके बाद छापा मारने की कार्रवाई को अंजाम दिया गया। छापे के दौरान लगभग 1.4 करोड़ रुपये कैश और 3.5 किलो जेवर जब्त किए हैं। ऑफिसर्स ने विदेश मुद्रा भी बरामद की है। जांच में कई करोड़ रुपये विदेशी बैंकों में जमा होने की बात भी सामने आई है। अधिकारियों को ऐसे कई तरीकों के बारे में भी पता चला है जिनसे डॉक्टरों को केस रिफर करने के पैसे मिलते थे।

इनकम टैक्स ऑफिसर्स ने बताया है कि डॉक्टरों को मेडिकल टेस्ट्स के लिए लैब रिफर करने पर पैसे मिल रहे थे। डॉक्टरों को अलग-अलग लैब से अलग-अलग राशि मिलती थी। इन सभी का ब्यौरा मार्केटिंग के खर्च के नाम पर दिया जाता था। एमआरआई कराने पर लगभग 35 प्रतिशत कमीशन और सीटी स्कैन के लिए 20 प्रतिशत कमीशन डॉक्टरों की जेब में जाता था। यहां तक कि चेक से भुगतान होने पर उसे "प्रोफेशनल फी" का नाम दे दिया जाता था।

इस कालेधन को सफेद करने और सरलता के साथ डॉक्टरों की जेब में यह माल पहुंचाने के लिए बड़ी तादात में एजेंट्स का भी सहारा लिया जाता था। डॉक्टरों तक रकम पहुंचाने के लिए इन एजेंट्स को लैब्स और सेंटर्स द्वारा रखा जाता था। इन एजेंट्स का काम होता था कि ये इस काली कमाई को एक लिफाफे में रखकर डॉक्टरों की जेब तक पहुंचाते थे। इन लिफाफों के अंदर मरीजों की जानकारी, टेस्ट्स के नाम, बिल जैसी जानकारियां दी जाती थीं।

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