GST : फार्म 3 CD में बदलाव का व्यापारियों पर होगा असर, इनकम सोर्स की देनी होगी डिटेल

GST : फार्म 3 CD में बदलाव का व्यापारियों पर होगा असर, इनकम सोर्स की देनी होगी डिटेल

Anita Peddulwar
Update: 2018-08-21 09:59 GMT
GST : फार्म 3 CD में बदलाव का व्यापारियों पर होगा असर, इनकम सोर्स की देनी होगी डिटेल
हाईलाइट
  • CBDT ने अपने आयकर अधिनियम की धारा 44 एबी के तहत ऑडिट के लिए पात्र लोगों द्वारा भरे जाने वाले फॉर्म 3 सीडी में बड़े बदलाव किए हैं।
  • इस बार जनरल एंटी एवाइडेंस रूल (गार) और जीएसटी के विभिन्न प्रावधानों से ऑडिटर्स को राहत दे दी है।
  • व्यापारियों को जीएसटी कलेक्शन की जानकारी पहली बार देना जरूरी होगी।

डिजिटल डेस्क, नागपुर। व्यापारियों और कंपनियों को अन्य स्रोत से मिली जानकारी की अब ज्यादा विस्तृत जानकारी देनी होगी। यानी अब उन सभी स्रोत के नाम बताने होंगे, जिनसे उसे आमदनी हुई है। व्यापारियों को जीएसटी कलेक्शन की जानकारी पहली बार देना जरूरी होगी। दरअसल, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने अपने आयकर अधिनियम की धारा 44 एबी के तहत ऑडिट के लिए पात्र लोगों द्वारा भरे जाने वाले फॉर्म 3 सीडी में बड़े बदलाव किए हैं। यह बदलाव लागू हो गए हैं।

उपराजधानी में करीब 20 हजार कारोबारियों पर इसका असर पड़ेगा। इन सभी के ऑडिट चार्टर्ड अकाउंटेंट भर रहे हैं, इसमें इन्हें नए प्रारूप में यह सारी जानकारी देनी होगी। डायरेक्टर और उच्च पदाधिकारियों को लोन के रूप में डीम्ड डिविडेंट देने वाली कंपनियों को भी इस लोन की सारी डिटेल भरनी होगी। विशेषज्ञों के मुताबिक आयकर विभाग जीएसटी आने के बाद सिस्टम में आई पारदर्शिता का लाभ उठाकर अपना कर संग्रह और करदाता दोनों की संख्या में बढ़ोतरी करना चाहता है। ऑडिट में जो नई जानकारियां भरी जा रहीं हैं, इससे व्यापारियों और कंपनी के ऐसे साझेदारों की पहचान आसान होगी, जो अब तक कोई टैक्स ही नहीं दे रहे हैं।

गार और जीएसटी के कई प्रावधानों से मिली राहत
सीबीडीटी ने इस बार जनरल एंटी एवाइडेंस रूल (गार) और जीएसटी के विभिन्न प्रावधानों से ऑडिटर्स को राहत दे दी है, लेकिन अगली बार 31 मार्च 2019 से यह अनिवार्य किए गए हैं।

फॉर्म-3सीडी में ये हुए हैं बदलाव       
* इस फॉर्म के क्लॉज 29 (बी), सेक्शन 56 (2) में अन्य स्रोत से हासिल आय की जानकारी देनी होती थी।
* डायरेक्टर और उच्च पदाधिकारियों को लोन के रूप में मिलने वाले डिम्ड डिविडेंट की जानकारी देना पहले अनिवार्य नहीं था।
* व्यापारी कई ऐसे लोगों के साथ कारोबार करते हैं, जिनका कोई पेनकार्ड नहीं होता। पहले इनकी जानकारी देना जरूरी नहीं था।
*अब: बताना होगा कि आय के स्रोत कौन-कौन से हैं और इनसे कितनी आय हुई। जानकारी न देने या छिपाने पर कुल 77% तक पेनाल्टी देनी पड़ सकती है।
*अब: लेकिन अब कंपनियों के लिए यह बताना जरूरी होगा कि यह कितना है। साथ ही डायरेक्टर को कंपनी से दिए गए लोन की जानकारी देनी होगी।
*अब: ऐसे सभी लोगों के साथ हुए कारोबार की जानकारी 61, 61 (ए) और 61 (बी) में देना अनिवार्य कर दिया गया है।

Similar News