CIC ने RBI गवर्नर को भेजा नोटिस, कहा- बड़े लोन डिफॉल्टर्स के नाम बताओ या पेनल्टी भरो

CIC ने RBI गवर्नर को भेजा नोटिस, कहा- बड़े लोन डिफॉल्टर्स के नाम बताओ या पेनल्टी भरो

Bhaskar Hindi
Update: 2018-11-04 16:41 GMT
CIC ने RBI गवर्नर को भेजा नोटिस, कहा- बड़े लोन डिफॉल्टर्स के नाम बताओ या पेनल्टी भरो
हाईलाइट
  • CIC ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर को एक नोटिस भेजा है।
  • इस नोटिस में CIC ने RBI से विलफुल लोन डिफॉल्टर्स के नाम नहीं बताने का कारण पूछा है।
  • नोटिस का जवाब देने के लिए CIC ने RBI को 16 नवंबर तक का वक्त दिया है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सेंट्रल इन्फॉर्मेशन कमीशन (CIC) ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के गवर्नर को एक नोटिस भेजा है। इस नोटिस में CIC ने RBI से विलफुल लोन डिफॉल्टर्स के नाम नहीं बताने का कारण पूछा है। इस नोटिस का जवाब देने के लिए CIC ने RBI को 16 नवंबर तक का वक्त दिया है। इसके अलावा CIC ने प्रधानमंत्री कार्यालय और वित्त मंत्रालय को RBI के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन द्वारा बैड लोन पर लिखे गए रिपोर्ट को सार्वजनिक करने का निर्देश दिया है।

CIC ने RBI को लिखे नोटिस में पूछा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद बैंक विलफुल लोन डिफॉल्टर्स के नाम का खुलासा नहीं कर रही है। CIC ने देश के सबसे बड़े बैंक से पुछा है कि ऐसे में उनपर मैक्सिमम पेनल्टी क्यों नहीं लगाई जानी चाहिए। सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलु ने कहा कि आयोग ने RBI को इसका जिम्मेदार माना है और इसी वजह से उन्हें यह नोटिस भेजा गया है।

CIC ने इसके साथ ही RBI गवर्नर उर्जित पटेल के एक बयान का भी उल्लेख किया है। इस बयान में पटेल ने कहा था कि CIC द्वारा लिए गए निर्णय पारदर्शिता, ईमानदारी की भावना को बढ़ाने के लिए लिया जाता है। इस बयान का उल्लेख करते हुए सूचना आयूक्त श्रीधर ने कहा कि उर्जित पटेल कहते कुछ हैं और करते कुछ हैं। जयंती लाल मामले में CIC के आदेश की SC द्वारा पुष्टि किए जाने के बावजूद विजिलेंस रिपोर्ट और इंस्पेक्शन रिपोर्ट में अत्यधिक गोपनीयता रखी जा रही है। 

बता दें कि SC ने तत्कालीन सूचना आयुक्त शैलेश गांधी के उस फैसले को बरकरार रखा था जिसमें उन्होंने विलफुल लोन डिफॉल्टर्स का नाम उजागर करने की अपील की थी। इससे पहले भी कई बार CIC ने RBI को जानबूझकर ऋण नहीं चुकाने वालों के नाम (विलफुल लोन डिफॉल्टर्स) का खुलासा करने को कहा था। CIC ने कहा था कि किसान मामूली रकम पर डिफॉल्ट करते हैं तो उनके नाम को सार्वजनिक किया जाता है। वहीं 50 करोड़ से ज्यादा पर डिफॉल्ट करने वालों को छूट दे दी जाती है। इससे 1998 से 2018 के बीच 30 हजार से ज्यादा किसानों ने खुदकुशी की। ऐसा इसलिए क्योंकि वह भारी कर्ज चुकाने में नाकाम थे और शर्मिंदा महसूस कर रहे थे।

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