केंद्र सरकार की अनुमति के बाद भी नहीं सुधर रहा ट्रकों का परिचालन

केंद्र सरकार की अनुमति के बाद भी नहीं सुधर रहा ट्रकों का परिचालन

IANS News
Update: 2020-05-04 05:00 GMT
केंद्र सरकार की अनुमति के बाद भी नहीं सुधर रहा ट्रकों का परिचालन

नई दिल्ली, 4 मई (आईएएनएस)। देशभर में निर्बाध माल-ढुलाई के लिए केंद्र सरकार द्वारा सभी मालवाहक वाहनों के परिचालन की अनुमति देने के बाद भी ट्रांसपोर्टरों की परेशानी कम नहीं हुई है, जिस वजह से राजमार्गों पर ट्रकों की आवाजाही जोर नहीं पकड़ रही है। ट्रांसपोर्टरों ने बताया कि आज भी 80 फीसदी ट्रक परिचालन से बाहर हैं।

कोरोनावायरस की कड़ी को तोड़ने के लिए प्रभावी उपाय के तौर देशव्यापी लॉकडाउन की समयसीमा तीसरी बार बढ़ा दी गई है, लेकिन केंद्र सरकार ने सभी मालवाहक वाहनों को परिचालन की अनुमति दी है। हालांकि ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि इससे उनकी परेशानी कम नहीं हुई, जिसके कारण ट्रकों का परिचालन नहीं सुधर रहा है।

ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के प्रेसीडेंट कुलतारन सिंह अटवाल ने आईएएनएस से कहा कि केंद्र सरकार द्वारा जारी हालिया आदेश में सभी राज्यों को ट्रकों का परिचालन निर्बाध करने को कहा गया है और इस तरह के आदेश पहले भी दो बार जारी किए गए हैं मगर, जमीनी स्तर पर यह आदेश उचित तरीके से लागू नहीं हो रहा है जिसके कारण ट्रांसपोर्टर परेशान हैं क्योंकि उनके ट्रकों को जगह-जगह रोक दिया जाता है।

उन्होंने इसकी वजह बताई। अटवाल ने कहा कि कई राज्य ऐसे हैं जहां के बड़े नगर रेड जोन में आते हैं जहां प्रवेश की अनुमति नहीं है। रेड जोन में उद्योग को भी चालू करने की इजाजत नहीं है।

अटवाल ने कहा कि गोदामों और फैक्टरियों के बंद होने के कारण ट्रक खाली नहीं हो पाते हैं जिससे ड्राइवर परेशान होते हैं।

राजस्थान के ट्रांसपोर्टर दिलीप लांबा की सारी गाड़ियां इस समय खड़ी हैं और वह सड़कों पर बेरोक-टोक परिचालन का इंतजार कर रहे हैं। लांबा ने कहा, मेरी सारी गाड़ियां ऑफरोड हैं क्योंकि परिचालन के लिए माल भी नहीं मिल रहा है। अन्य ट्रांसपोर्टरों से जो बात हो रही है उसके मुताबिक तकरीबन 18.20 फीसदी ही छोटी-बड़ी गाड़ियों का ही इस समय परिचालन हो रहा है।

एआईएमटीसी के जनरल सेक्रेटरी नवीन कुमार गुप्ता ने भी बताया कि देशभर में इस समय करीब 80 फीसदी ट्रक ऑफरोड यानी परिचालन से बाहर हैं। उन्होंने कहा कि देशभर में ट्रांसपोर्ट के कारोबार में तकरीबन 76 लाख ट्रकों का परिचालन होता है, मगर इस समय 20 फीसदी से ज्यादा ट्रक सड़कों पर नहीं चल रहे हैं।

अजीत सिंह ओबराय का दिल्ली में ट्रांसपोर्ट का कारोबार है और इनका भी यही कहना है कि गाड़ियों को माल नहीं मिल रहा है। ओबराय ने कहा, कई जगहों पर फैक्ट्ररियों और गोदामों को खोलने की इजाजत तो दे दी गई है, लेकिन ट्रांसपोटरों का दफ्तर बंद है। ऐसे में वह कैसे बिल्टी देगा, गाड़ी वालों को पैसे देगा और उसमें डीजल डलवाएगा। ट्रांसपोटरों के न तो दफ्तर खुले हैं और न ही गोदाम खुले हैं।

इसके अलावा, ट्रकों के परिचालन में ड्राइवरों की कमी भी एक बड़ी अड़चन हैं। ट्रांसपोर्टर बताते हैं कि जो ड्राइवर घर चले गए हैं वे काम पर लौटना नहीं चाहते हैं और जो काम पर आते हैं उनको घर जाने में कठिनाई होती है क्योंकि उनको आइसोलेशन में रखा जाता है। कुलतारन सिंह अटवाल ने कहा, ड्राइवर जब गांव में जाते हैं तो उनको आइसोलेशन में रखा जाता है, इसलिए वे डरे हुए हैं।

अटवाल ने कहा, सबसे बड़ी परेशानी आज हमारे ड्राइवरों को आ रही है जो देशभर में फल, सब्जी, दूध व दवा समेत तमाम आवश्यक वस्तुएं पहुंचा रहे हैं। इसलिए डॉॅक्टर, नर्स समेत स्वास्थ्यकर्मियों व पुलिसकर्मियों को 50 लाख का बीमा दिया गया है। उसी प्रकार ड्राइवरों को भी बीमा का लाभ दिया जाना चाहिए क्योंकि हमारे ड्राइवर अगले मोर्चे पर काम करते हैं।

--आईएएस

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