ईएमआई के ब्याज पर फैसला के लिए वित्त मंत्रालय व आरबीआई को 3 दिन की मोहलत

ईएमआई के ब्याज पर फैसला के लिए वित्त मंत्रालय व आरबीआई को 3 दिन की मोहलत

IANS News
Update: 2020-06-12 10:30 GMT
ईएमआई के ब्याज पर फैसला के लिए वित्त मंत्रालय व आरबीआई को 3 दिन की मोहलत

नई दिल्ली, 12 जून (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को सप्ताहांत में वित्त मंत्रालय और आरबीआई अधिकारियों की एक बैठक बुलाने के लिए कहा है, ताकि यह तय किया जा सके कि बैंकों की ओर से ईएमआई पर लगने वाला ब्याज लिया जा सकता है या नहीं।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण, संजय किशन कौल और एम.आर. शाह की खंडपीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से इस मामले में सवाल पूछे। पीठ ने कहा कि अदालत तभी से चिंतित है, जब केंद्र ने तीन महीने के लिए ऋण को टाल दिया था।

पीठ ने पूछा कि इन तीन महीनों का ब्याज (इंटरेस्ट) कैसे जोड़ा जा सकता है। मेहता ने जवाब दिया कि उन्हें भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अधिकारियों के साथ बैठक करने की जरूरत है।

एसबीआई की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने सुनवाई के दौरान कहा कि सभी बैंकों का मानना है कि छह महीने की ईएमआई पर ब्याज माफ नहीं किया जा सकता।

रोहतगी ने जोर देकर कहा, हमें आरबीआई के साथ इस पर चर्चा करने की जरूरत है।

इसके बाद न्यायमूर्ति भूषण ने मेहता को सप्ताहांत में आरबीआई और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों की बैठक बुलाने के लिए कहा और मामले को 17 जून को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।

सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने संकेत दिया कि वह ब्याज की पूरी छूट पर विचार नहीं कर रही है, लेकिन केवल इस बात को लेकर चिंतित है कि मोराटोरियम (ऋण स्थगन) पर आगे ब्याज नहीं लगना चाहिए।

आरबीआई ने कहा था कि मोराटोरियम के दौरान ईएमआई पर इंटरेस्ट माफ करने के बाद देश की जीडीपी का एक प्रतिशत नुकसान होगा।

शीर्ष अदालत ने पहले वित्त मंत्रालय से जवाब मांगा था कि ब्याज माफ किया जा सकता है या यह अधिस्थगन अवधि के दौरान जारी रहेगा?

शीर्ष अदालत ने कहा कि ये सामान्य समय नहीं हैं और यह एक गंभीर मुद्दा है, क्योंकि एक तरफ मोहलत दी जाती है और फिर, इस अवधि के दौरान ऋण पर ब्याज लगाया जाता है।

आरबीआई ने कोविड-19 महामारी के मद्देनजर, 27 मार्च को एक सर्कुलर जारी किया था, जिसमें बैंकों को तीन महीने की अवधि के लिए किस्तों के भुगतान के लिए मोहलत दी गई थी। इसके बाद आरबीआई ने 22 मई को 31 अगस्त तक के लिए तीन महीने की मोहलत की अवधि बढ़ाने की घोषणा की। नतीजतन, ऋण पर ब्याज चुकाने की मोहलत छह महीने की हो गई।

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा गया कि बैंक ईएमआई पर मोहलत देने के साथ-साथ ब्याज भी लगा रहे हैं, जो कि गैर-कानूनी है। इसी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आरबीआई और केंद्र से जवाब मांगा है। ज्ञात हो कि राष्ट्रव्यापी बंद के बाद काम धंधे बंद होने की वजह से बहुत से लोग ऋण की ईएमआई नहीं चुका पा रहे हैं।

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