सरकार एयर इंडिया की 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने पर कर रही विचार

सरकार एयर इंडिया की 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने पर कर रही विचार

Bhaskar Hindi
Update: 2018-06-12 14:24 GMT
सरकार एयर इंडिया की 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने पर कर रही विचार
हाईलाइट
  • अब एयर इंडिया की 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने पर विचार कर रही सरकार
  • जिस नीति को अपनाकर एयर इंडिया की हिस्सेदारी खरीदने का ऑफर दिया गया था
  • उसने काम नहीं किया।
  • सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा कि सरकार कई विकल्पों को लेकर चल रही है सरकार।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। घाटे में चल रही एयर इंडिया की 76 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का प्रयास विफल होने के बाद अब सरकार 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने पर विचार कर रही है। आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा कि सरकार कई विकल्पों को लेकर चल रही है और 24 फीसदी हिस्सेदारी अपने पास रखने की इच्छा नहीं रखती है। उन्होंने कहा, जिस नीति को अपनाकर एयर इंडिया की हिस्सेदारी खरीदने का ऑफर दिया गया था, उसने काम नहीं किया। इसलिए अब कुछ अलग तरह से किया जाएगा।

76 प्रतिशत इक्विटी शेयर बिक्री का था प्रस्ताव
बता दें कि सरकार ने 2017 में एयर इंडिया में अपनी हिस्सेदारी बेचने को सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दी थी, केंद्र सरकार ने कहा था कि एयर इंडिया के विन‍िवेश के लिए बोली लगाई जाएगी। इसके लिए सरकार ने बाकायदा अर्नेस्ट एंड यंग को ट्रांजैक्शन एडवायजर के तौर पर नियुक्त किया था। लेकिन किसी भी कंपनी ने खरीद में दिलचस्पी नहीं दिखाई। 

3 साल तक एयरलाइन में निवेश कायम रखने की थी शर्त
28 मार्च को जारी ज्ञापन में कहा गया था कि बोली जीतने वाली कंपनी को कम से कम तीन साल तक एयरलाइन में अपने निवेश को कायम रखना होगा। इस सौदे के तहत एयर इंडिया के अलावा उसकी लो कॉस्ट वाली यूनिट एयर इंडिया एक्सप्रेस और एयर इंडिया एसएटीएस एयरपोर्ट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड की भी बिक्री की जाने की भी बात कही गई थी। मालूम हो कि एसएटीएस एयरपोर्ट सर्विसेज एयर इंडिया और सिंगापुर की एसएटीएस लिमिटेड का जॉइंट वेंचर है।

करीब 50,000 करोड़ का कर्ज
एयर इंडिया सालों से घाटे में चल रही है। राष्ट्रीय एयरलाइंस पर करीब 50,000 करोड़ का कर्ज है। एयर इंडिया की बाजार में हिस्सेदारी भी 14% रह गई है। सिविल एविएशन मिनिस्ट्री ने संकेत दिया था कि विनिवेश के लिए शुरुआती बोलियां नहीं मिलने के बाद अब हिस्सेदारी बिक्री की रणनीति पर नए सिरे से विचार किया जा सकता है।  

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