जीएसटी अनुपालन व्यवस्था अभी भी सरल नहीं : सीएजी

जीएसटी अनुपालन व्यवस्था अभी भी सरल नहीं : सीएजी

IANS News
Update: 2019-07-30 17:30 GMT
जीएसटी अनुपालन व्यवस्था अभी भी सरल नहीं : सीएजी
हाईलाइट
  • सीएजी ने मंगलवार को संसद में पेश की गई एक रपट में कहा है
  • रिटर्न मेकेनिज्म की जटिलता और तकनीकी अड़चनों के कारण इन्वॉयस-मैचिंग को वापस लेना पड़ा
  • जो आईटीसी फर्जीवाड़े की संभावना वाली प्रणाली को प्रतिपादित करती थी
  • भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) के अनुसार
  • वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के दो वर्ष बाद भी सरकार एक सरल कर अनुपालन व्यवस्था नहीं दे पाई है और गैर-दखलकारी ई-कर प्रण
नई दिल्ली, 30 जुलाई (आईएएनएस)। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) के अनुसार, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के दो वर्ष बाद भी सरकार एक सरल कर अनुपालन व्यवस्था नहीं दे पाई है और गैर-दखलकारी ई-कर प्रणाली दूर की कौड़ी बना हुआ है।

सीएजी ने मंगलवार को संसद में पेश की गई एक रपट में कहा है, रिटर्न मेकेनिज्म की जटिलता और तकनीकी अड़चनों के कारण इन्वॉयस-मैचिंग को वापस लेना पड़ा, जो आईटीसी फर्जीवाड़े की संभावना वाली प्रणाली को प्रतिपादित करती थी। कुल मिलाकर जिस जीएसटी कर अनुपालन प्रणाली की कल्पना की गई थी, वह काम नहीं कर रही है।

उल्लेखनीय है कि नई प्रत्यक्ष कर व्यवस्था, जीएसटी को जुलाई, 2017 में लागू किया गया था।

सीएजी ने कहा है कि जीएसटी के क्रियान्वयन की पूर्ण संभावना को जिस एक महत्वपूर्ण क्षेत्र में हासिल नहीं किया जा सका है, वह है सरलीकृत कर अनुपालन व्यवस्था का क्रियान्वयन।

सीएजी ने कहा है कि यह उम्मीद थी कि व्यवस्था में स्थिरता आने के बाद अनुपालन में सुधार होगा, लेकिन जो भी रिटर्न दाखिल किए गए हैं, उनमें अप्रैल 2018 से दिसंबर 2018 तक गिरावट का एक रुझान देखने को मिला है।

रिपोर्ट के अनुसार, जीएसटीआर-1 रिटर्न दाखिल करने का प्रतिशत (आउटवार्ड सप्लाई पर मासिक रिटर्न) जीएसटीआर-3बी के दाखिल करने की तुलना में कम था। जीएसटीआर-3बी को लाने से रिटर्न को आईटीसी दावों के साथ दाखिल करने की व्यवस्था शुरू हुई, जिसे सत्यापित नहीं किया जा सकता और लगता है कि इसने जीएसटीआर-1 के भी दाखिले को हतोत्साहित किया है।

सीएजी ने कहा है, चूंकि जीएसटीआर-1 दाखिल करना अनिवार्य है, लिहाजा शॉर्ट-फाइलिंग चिंता का एक विषय है और इसे सुलझाने की जरूरत है।

--आईएएनएस

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