Festival of Kites: गुजरात में फेमस है यह सांस्कृतिक महोत्व, कई लोगों के रोजगार का जरिया
Festival of Kites: गुजरात में फेमस है यह सांस्कृतिक महोत्व, कई लोगों के रोजगार का जरिया
- 43 देशों के 115 पतंगबाज ले रहे इस महोत्सव में हिस्सा
- गुजराज की अर्थव्यवस्था के रीढ़ की हड्डी है यह महोत्सव
- गुजरात में धूमधाम से मनाया जा रहा पतंग महोत्सव का सांस्कृतिक पर्व
डिजिटल डेस्क, मुम्बई। गुजरात का मशहूर अंतर्राष्ट्रीय पतंग महोत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस महोत्सव को मनाने के सांस्कृतिक महत्व से इतर इसका एक और अहम पहलू भी है। वह पहलू है मनोरंजन के साथ-साथ रोजगार मुहैया कराना। दुनिया भर में मशहूर यह पतंग महोत्सव लाखों लोगों की रोजी-रोटी का भी साधन है। इसी प्रमुख वजह के चलते गुजरात सरकार ने इस महोत्सव के जरिए पतंग उद्योग में सुधार और उसके उत्थान के लिए कई अहम कदम उठाए हैं।
175 करोड़ का पतंग उधोग
गुजरात राज्य में रहने वाले कुछ परिवार तो ऐसे हैं जो, पूरी तरह से इसी पतंग व्यवसाय पर आश्रित हैं। पतंग उत्सव से कई महीने पहले ये परिवार पतंगों का निर्माण शुरू कर देते हैं। साल 2012 के एक सर्वे के मुताबिक में पतंग निर्माण उद्योग 175 करोड़ का था। इससे जुड़े 30,000 लोगों को रोजगार मिला। कालांतर में धीरे-धीरे ये तादाद बढ़ती ही गई। जिसके परिणाम-स्वरूप साल 2017-18 में ये उद्योग 625 करोड़ का हो गया। एक अनुमानित आंकड़े के मुताबिक, लगभग 1,28,000 लोग गुजरात के पतंग उद्योग से जुड़े हुए हैं। इन आंकड़ों के नजरिये से गुजरात का पतंग उद्योग, हिंदुस्तान के कुछ बड़े घरेलू उद्योगों में शुमार होता जा रहा है।
1.28 लाख लोग पतंग उधोग से जुड़े हैं
पतंग उद्योग में पूरे देश में गुजरात की 40 फीसदी हिस्सेदारी है और इसमें लगभग 1.28 लाख लोग काम कर रहे हैं। पतंग महोत्सव कई स्थानीय कारीगरों और छोटे व्यापारियों को आगे बढ़ने में मदद कर रहा है। गुजरात सरकार का सफल पतंग महोत्सव निश्चित रूप से विभिन्न तरीकों से स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ाता है। इससे जुड़े हुए पतंग निर्माता और व्यापारी खुद इस बात को मानते हैं कि इसके जरिए उनकी आय में इजाफा हुआ है।
अर्थ-व्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है यह उधोग
गुजरात राज्य पर्यटन निगम लिमिटेड (टूरिज्म कापोर्रेशन ऑफ गुजरात यानि टीजीसीएल) के महाप्रबंधक जेनू देवन ने आईएएनएस से विशेष बातचीत के दौरान बताया कि गुजरात राज्य पतंग महोत्सव से होने वाले पतंग व्यवसाय के आंकड़ों को लेकर हम लोग संतुष्ट हैं। खेल-खेल में इस तरह के और इतने बड़े पैमाने पर आय के साधन जल्दी निकल कर सामने नहीं आते हैं। राज्य का पतंग उद्योग वास्तव में हमारी (गुजरात राज्य पर्यटन निगम लिमिटेड) अर्थ-व्यवस्था की रीढ़ की हड्डी बन चुका है।
सिर्फ मनोरंजन तक सीमित नहीं है पतंगबाजी
जेनू देवन ने बताया कि यही वजह है कि, गुजरात सरकार पतंगबाजी को सिर्फ मनोरंजन के साधन तक ही सीमित नहीं करना चाहती। हम इसे राज्य की अर्थ-व्यवस्था को मजबूत करने का माध्यम तो बना ही चुके हैं। साथ-साथ घर-बैठे बिना कोई ज्यादा धन लगाये ही, इस उद्योग से आसानी से आम-आदमी को भी जोड़ रहे हैं।
विदेशी सैलानी भी आते हैं
गुजरात राज्य सरकार के संयुक्त निदेशक नीलेश शुक्ला ने कहा कि गुजरात पर्यटन मंत्रालय ने पतंग महोत्सव में कई अन्य गतिविधियों के माध्यम से भी रोजगार के अच्छे अवसर तलाश लिए गए हैं। मसलन फूड स्टॉल्स, हस्त-शिल्प की दुकानें और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन इत्यादि। ताकि राज्य सरकार के खजाने में अगर बढ़ोतरी हो, तो राज्य के निवासियों को रोजगार भी आसानी से हासिल हो सके। यह सब भी इस पतंग महोत्सव की बदौलत ही संभव हो सका है। पतंग महोत्सव ने गुजरात के पतंग व्यवसाय को तो बढ़ावा दिया ही है। पर्यटन की दृष्टि से भी विदेशी सैलानी गुजरात की शोहरत अपने देश में पहुंचकर कर रहे हैं। अपने आप में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर राज्य के पर्यटन को बढ़ावा देने का यह सबसे सफल उपाय भी है।
पतंग महोत्सव में 43 देशों के पतंगबाज ले रहे हिस्सा
गुजरात राज्य पर्यटन निगम लिमिटेड के महाप्रबंधक जेनू देवन ने बताया कि अभी चल रहे इस पतंग महोत्सव में 43 देशों के 115 पतंगबाज हिस्सा ले रहे हैं। इसके अलावा भारत के अलग अलग राज्यों के भी 153 नामी-गिरामी पतंगबाज शिरकत कर रहे हैं। जानकारी के मुताबिक, इन सबकी मौजूदगी के चलते अहमदाबाद का साबरमती रिवरफ्रंट 15 जनवरी तक देशी-विदेशी सैलानियों और पतंगबाजों का अस्थायी घर सा बना हुआ है। यह त्योहार मकर संक्रांति के अवसर पर मनाया जाना है।