आर्थिक मंदी के लिए भारत को तैयार रहना चाहिए : अरविंद सुब्रमण्यन 

आर्थिक मंदी के लिए भारत को तैयार रहना चाहिए : अरविंद सुब्रमण्यन 

Bhaskar Hindi
Update: 2018-12-10 03:25 GMT
हाईलाइट
  • जीएसटी से राजस्व वसूली का लक्ष्य उचित नहीं
  • नोटबंदी से देश की अर्थव्यवस्था की रफ्तार कम हुई-सुब्रमण्यन
  • भारत में आ सकती है आर्थिक मंदी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने रविवार को चेताते हुए कहा कि कृषि और वित्तीय व्यवस्था के दबाव में होने से भारतीय अर्थव्यवस्था कुछ समय के लिए मंदी के दौर में फंस सकती है। अपनी किताब "ऑफ काउंसेल: द चैलेंजेज ऑफ द मोदी-जेटली इकॉनमी" के विमोचन के अवसर पर सुब्रमण्यन ने कहा कि नोटबंदी और जीएसटी लागू किए जाने से देश की अर्थव्यवस्था की रफ्तार कम हो गई है। 

जीएसटी से वसूली ठीक नहीं
पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने कहा कि बजट में गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) से राजस्व वसूली का लक्ष्य उचित नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि बजट में जीएसटी से वसूली के लिए जो लक्ष्य रखा गया है, वह व्यवहारिक नहीं है। मैं स्पष्ट तौर पर कहूंगा कि बजट में जीएसटी के लिए अतार्किक लक्ष्य रखा गया है। इसमें 16-17 प्रतिशत (वृद्धि) की बात कही गई है। सुब्रमण्यन ने कहा कि जीएसटी की रूपरेखा और बेहतर तरीके से तैयार की जा सकती थी। 

मंदी के लिए तैयार रहना होगा 
भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में बात करते हुए उन्होने कहा कि हमें कुछ समय की मंदी के लिए खुद को तैयार रखना होगा। मैं कई कारणों से यह बात कह रहा हूं। उन्होने कहा कि वित्तीय प्रणाली दबाव में है। वित्तीय परिस्थितियां बहुत कठिन हैं। ये त्वरित वृद्धि के लिए अनुकूल नहीं है। सुब्रमण्यन ने कही कि कृषि क्षेत्र अब भी दबाव में है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अगले साल होने वाले चुनाव के दौरान विभिन्न पार्टियों के चुनावी घोषणापत्र में सार्वभौमिक न्यनूतम आय (यूबीआई) के मुद्दे को भी शामिल किया जाएगा।

आरबीआई पर भी रखी बात
कार्यक्रम के दौरान सुब्रमण्यन ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक की स्वायत्तता में कटौती नहीं की जानी चाहिए। हालांकि, उन्होंने कहा कि आरबीआई की अतिरिक्त आरक्षित राशि का इस्तेमाल सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों के पूंजीकरण के लिए करना चाहिए ना कि सरकार के राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए।
 

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