'मिशन 2019' के लिए सुधारवादी के बजाय राष्ट्रवादी छवि पर दांव खेल सकते हैं मोदी

'मिशन 2019' के लिए सुधारवादी के बजाय राष्ट्रवादी छवि पर दांव खेल सकते हैं मोदी

Bhaskar Hindi
Update: 2017-08-13 12:18 GMT
'मिशन 2019' के लिए सुधारवादी के बजाय राष्ट्रवादी छवि पर दांव खेल सकते हैं मोदी

डिजिटल डेस्क, मुंबई। पहले नोटबंदी और अब देशभर में जीएसटी लागू करने के बाद केंद्र की मोदी सरकार की नजरें 2019 के चुनाव में जीत की ओर लगी हैं। मजबूत जनाधार और लोकप्रियता के बावजूद मोदी सरकार के लिए 2014 की ऐतिहासिक जीत को दोहराना तब तक आसान नहीं होगा, जब तक वह अपनी अभी तक की उपलब्धियों और सुधारों को जमीन पर लागू करके दिखा सके। ऐसे में उम्मीद यही की जा रही है कि सरकार अब कड़े सुधारों की बजाय उपलब्धियों को लोगों के बीच पहुंचाने के साथ-साथ टैक्स में कमी और अन्य उपायों से लोगों को लुभाने का प्रयास करेगी। 

Barclays India के मुख्य अर्थशास्त्री सिद्धार्थ सान्याल ने  कहा, "हम उम्मीद कर रहे हैं कि 2019 के चुनाव में नए मैदान जीतने पर ध्यान देने के बजाय PM नरेंद्र मोदी अब तक किए गए सुधारों और इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स को मजबूती देने पर फोकस करेंगे। अब प्रशासनिक सुधारों पर ध्यान दिया जाएगा। Micro economics के मोर्चे पर नए विधिक सुधार नहीं किए जाएंगे।" सान्याल ने ये भी बताया कि 2014 के बाद से उनके आक्रामक सुधारों के बावजूद, हमें विश्वास है कि मोदी 2019 के चुनावों से पहले अपनी लड़ाइयों को चुनने और अपनी राजनीतिक पूंजी लगाने के मामले में सिलेक्टिव होंगे। चुनाव से पहले मोदी अपनी "सुधारवादी छवि" के बजाय बीजेपी की "राष्ट्रवादी" विश्वसनीयता को बढ़ावा देने पर विचार कर सकते हैं।

सान्याल के अनुसार इसके अलावा मोदी, Land and labor law से जुड़े सुधारों को पूरा करने का प्रयास कर सकते हैं, लेकिन वह अधिक दबाव नहीं डालेंगे। 2019 से पहले हम उम्मीद कर रहे हैं कि मोदी की नीतियां भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई, मौजूदा नीतिगत Priorities को पूरा करने और संवाद पर केंद्रित होंगी। वह सरकार की नीतियों का लाभ आम लोगों तक पहुंचाने पर फोकस कर सकते हैं।

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