'नेत्रहीनों को हो रही दिक्कत, RBI और सरकार निकालें समाधान'

'नेत्रहीनों को हो रही दिक्कत, RBI और सरकार निकालें समाधान'

Bhaskar Hindi
Update: 2017-12-07 04:15 GMT
'नेत्रहीनों को हो रही दिक्कत, RBI और सरकार निकालें समाधान'

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) को नए नोटों (200 रुपए और 50) और सिक्कों की जांच करने के लिए कहा है। कोर्ट ने ये बात नेत्रहीनों को नई करंसी पहचानने में हो रही परेशानी को देखते हुए कही है। कोर्ट ने कहा कि नई भारतीय मुद्रा में कुछ खामियां हैं, जिनसे नेत्रहीन लोगों को इसकी पहचान और इस्तेमाल करने में कठिनाइयां आ रही हैं। कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने रिजर्व बैंक और सरकार को इस मुद्दे पर पुनर्विचार करने को कहा। उन्होंने कहा कि अगर संभव हो तो 200 रुपए और 50 रुपए के नए नोटों का सरकार परीक्षण करे।

 

                               

 

पीठ ने कहा, "ये ऐसा मामला है जिस पर विचार किया जाना चाहिए। हमने भी पाया है कि ये नेत्रहीन लोगों के लिए पहचानने में मुश्किल हैं, क्योंकि इनका आकार और स्पर्शनीय चिह्न बदल गया है।" गौरतलब है कि 200 और 50 के नए नोट हाल ही में जारी किए गए हैं और चलन में आने के बाद इस तरह की कई शिकायते मिल चुकी हैं। नोटों में कुछ खामियां हैं, जिससे नेत्रहीनों को मुद्रा के इस्तेमाल में आ रही दिक्कतों का सामना कर पड़ रहा है। इस बाबत लगाई गई याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने बात कही। 

क्या है सिक्को में खामियां?

 

                                

 

भारत में मुद्रा के तौर पर मुख्यतः सिक्के और कागज के नोट चलते हैं। मुद्रा को बनाते वक्त कई पहलुओं का ध्यान रखना पड़ता है। जैसे मुद्रा को छापने का खर्चा बाजार तक पहुंचाने का खर्चा, मुद्रा की आयु, मुद्रा की ,धातु कागज, जाली मुद्रा से बचाव आदि। वहीं मुद्रा को नेत्रहीनों के अनुरूप न भी छापा जाता है। फिलहाल वर्तमान में 1 रूपए, 2 रूपए, 5 रूपए, दस रूपए के सिक्के प्रचलित हैं, जिन्में निम्न समस्याएं आ रहीं हैं।

- सिक्को का मान के अनुरूप आकार न होना। आज कई 5 रुपए के सिक्के 1 रुपए के सिक्कों से छोटे हैं। इससे नेत्रहीनों को पहचानने में समस्या आती है।

- एक ही मूल्य के सिक्कों का आकार अलग-अलग है। जैसे कि 1 रुपए का सिक्का बहुत सारे आकार में आता है।

- वर्तमान में सभी सिक्कों का आकार गोल कर दिया गया है। इस कारण से छूकर सिक्कों का पता नहीं चलता है और सिक्कों को मात्र गोल न रखकर अलग-अलग शेप-साइज में रखा जाए ताकि छूकर पता चल जाए कि किस मूल्य का सिक्का है।

- देखने की समस्या मात्र नेत्रहीनों को ही नहीं होती बल्कि शाम के बाद हर एक को होने लग जाती है और 60 वर्ष के बाद दृष्टि समस्या बढ़ जाती है।

क्या है नोटों में कमियां ?

 

                                    

 

सूचना के अधिकार से पता चला कि भारत में 1,2,5, 10, 20,50, 100,500, 1000 के नोटों का इस्तेमाल  होता है। ये नोट आम जनता के इस्तेमाल में लाए जाते हैं। नेत्रहीनों के सन्दर्भ में भारतीय कागजी मुद्रा में निम्न कमियां नजर आती है।

1,2,5,10 के नोट में कोई भी इंतजाम नहीं किया गया है जिससे नेत्रहीन उन्हें पहचान सके।  20, 50,100, 200, 500, 1000  के नोट में बायीं तरफ खाली जगह पर एक वॉटर मार्क बना होता है जो कि उभरा होता है, जिसे छूकर नेत्रहीन नोट का पता लगाता है।

ये वॉटर मार्क अलग-अलग आकार का होता है जैसे 200 और 50 रूपए में त्रिकोण का होता है, अब समस्या यह है कि ये वाटर मार्क की गुणवत्ता बहुत सामान्य है और काफी इस्तेमाल के बाद उभार खत्म हो जाते हैं। नोटों में नेत्रहीनों को ये पता करने पर समस्या आ रही है नोट कितने रुपए का है। 

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