अब न्यूनतम 5 करोड़ कारोबार वाले एमएसएमई उद्यमों का ही होगा लेखा परीक्षण

अब न्यूनतम 5 करोड़ कारोबार वाले एमएसएमई उद्यमों का ही होगा लेखा परीक्षण

IANS News
Update: 2020-02-01 15:00 GMT
अब न्यूनतम 5 करोड़ कारोबार वाले एमएसएमई उद्यमों का ही होगा लेखा परीक्षण
हाईलाइट
  • अब न्यूनतम 5 करोड़ कारोबार वाले एमएसएमई उद्यमों का ही होगा लेखा परीक्षण

नई दिल्ली,1 फरवरी (आईएएनएस)। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र के अंतर्गत छोटे खुदरा विक्रेता, व्यापारी, दुकानदार आदि आते हैं। इन उद्यमों पर अनुपालन की जिम्मेदारी को कम करने के उद्देश्य से केन्द्रीय बजट में इन उद्यमों के लेखा परीक्षण के लिए टर्नओवर की सीमा पांच गुणा बढ़ाकर पांच करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव किया गया है। वर्तमान में यह सीमा एक करोड़ रुपये है।

केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को संसद में वित्त वर्ष 2020-21 का केन्द्रीय बजट पेश किया। वित्तमंत्री ने कहा कि कम नगद वाली अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से यह बढ़ाई गई सीमा केवल उन्हीं उद्यमों पर लागू होगी, जिनके कारोबार में नगद लेनदेन की हिस्सेदारी पांच प्रतिशत से कम है। वर्तमान में जिन उद्यमों का टर्नओवर एक करोड़ रुपये से अधिक है, उन्हें अपने खाता-बही का लेखा परीक्षण किसी लेखा अधिकारी से करवाना होता है।

स्टार्ट-अप पारितंत्र को बढ़ावा देने के उद्देश्य से केन्द्रीय बजट में कर्मचारियों के लिए कर-बोझ में राहत देने हेतु ईएसओपी पर कर भुगतान को 5 साल के लिए या कर्मचारियों द्वारा कम्पनी छोड़े जाने तक या जब वे अपनी हिस्सेदारी बेचते हैं, इनमें से जो भी पहले होगा, कर भुगतान को स्थगित रखा गया है।

स्टार्ट-अप भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास इंजन के रूप में उभरकर सामने आए हैं। 25 करोड़ रुपये का कुल कारोबार करने वाले पात्र स्टार्ट अप को यदि कुल कारोबार 25 करोड़ रुपये से अधिक न हो, तो सात वर्षो में से लगातार तीन निर्धारण वर्षो के लिए अपने लाभ की 100 प्रतिशत की कटौती की अनुमति दी जाती है। बड़े स्टार्ट-अप को यह लाभ देने के लिए बजट में कुल कारोबार की सीमा मौजूदा 25 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 100 करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया गया है।

इसके अलावा, इस तथ्य को मानते हुए कि आरंभिक वर्षो में, इस कटौती का लाभ उठाने के लिए किसी स्टार्ट-अप को पर्याप्त लाभ न हुआ हो, बजट में कटौती के दावे की पात्रता अवधि बढ़ाकर मौजूदा 7 वर्ष से 10 वर्ष करने का प्रस्ताव किया गया है।

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