बंद सहकारी सूत मिलों की होगी बिक्री, निजी क्षेत्र को मिलेगा खरीदने का मौका
बंद सहकारी सूत मिलों की होगी बिक्री, निजी क्षेत्र को मिलेगा खरीदने का मौका
डिजिटल डेस्क, मुंबई। महाराष्ट्र की बंद पड़ी सहकारी सूत मिलों को फिर से शुरु करने के लिए सरकार इसे बेचने की अनुमति देने का फैसला लिया है। फिलहाल राज्य में 132 सहकारी सूत मिले हैं। जिनमें से 36 मिले बंद पड़ी हैं और इनकी मशीने जंग खा रही हैं।
जानकारी के अनुसार एक सूत मिल शुरु करने के लिए करीब 62 करोड़ रुपए की जरूरत होती है। इसमें से कुल पूंजी का 5 फीसदी हिस्सा सभासदों को जमा करना पड़ता है। जबकि 45 फीसदी रकम राज्य सरकार और 50 फीसदी राशि का इंतजाम कर्ज से किया जाता है। पर अभी तक 7 मिल ऐसी हैं, जिनके सभासदों ने पूंजी की रकम जमा नहीं की है। इस लिए इनका पंजीकरण रद्द कर दिया गया है।
इनमें विणकर सहकारी सूत मिल (नागपुर) व देवराव पाटील (दिग्रस,यवतमाल) भी शामिल है। फिलहाल राज्य की 36 सहकारी सूत मिले बंद पड़ी है। इनमें से हर मिल के लिए सरकार ने 27-27 करोड़ रुपए दिए हैं। पर कई वर्षों से इन मिलो के बंद होने से इनकी मशीने भी भंगार में तब्दिल हो रही हैं।
कर्ज भी नहीं चुका पा रहीं मिले
सहकारिता विभाग के एक अधिकारी के अनुसार ये मिल बैंक से लिए कर्ज भी नहीं चुका पा रही हैं। समय बीतने के साथ-साथ इन सूत मिलो की हालत और खस्ता हो रही है। मशीनों में जंग रहा है। जिससे इन्हें बेचने में भी मुश्किलें आएंगी। इस लिए अब सरकार और बैंकों की रकम वापस करने के बाद इन मिलो को बेचने की अनुमति देने का फैसला लिया गया है। राज्य के सहकारिता मंत्री सुभाष देशमुख का कहना है कि निजी कंपनियां इन्हें खरीद कर फिर से शुरु करेंगी।
इससे स्थानीय लोगों को फिर से रोजगार मिल सकेगा। राज्य की नई वस्त्रोद्योग नीति में मराठावाडा और विदर्भ के आत्महत्याग्रस्त जिलों में सहकारी सूत मिले शुरु करने कि घोषणा की गई है। सरकार को उम्मीद है कि इससे इस इलाके में सूत मिलों की संख्या बढ़ेगी। इन इलाकों में बड़े पैमाने पर कपास का उत्पादन होता है। इस लिए इन मिलों के लिए कच्चे माल की आपूर्ति भी सस्ती होगी। इस लिए इन सूत मिलो के लिए पूंजी के तौर पर राज्य सरकार 45 की बजाय 25 फीसदी रकम ही देगी।
बंद पड़ी सूत मिलें
निलकंठ (अकोला), पैनगंगा (साखरखेडा), यशवंत, शरद, शारदा (सोलापुर), जवाहर, दिनदयाल (धुले), जगदंबा (माढा), वसंतदादा (सांगली), डेक्कन, गणेश (इचलकरंजी), बारामती, मार्केंडेय (पुणे), आगाशिव (सातारा), जालना (जालना), हेमवर्णा (उस्मानाबाद), रेणुका (नांदेड), महात्मा फुले, जवाहर (लातूर), औरंगाबाद (औरंगाबाद), माउली (बीड), जेटी महाजन, जलगांव जिला कपास उत्पादक ( जलगांव), रत्नागिरी (रत्नागिरी), नाशिक (नाशिक), श्रीरामपुर (अहमदनगर), विश्वबारती (ठाणे), अमरावती, संत गाडगेबाबा (अणरावती), अकोट (अकोला), यवतमाल, वसंत (यवतमाल)।