एक अपमान ने खड़ा किया इतना बड़ा एंपायर : टाटा ग्रुप

एक अपमान ने खड़ा किया इतना बड़ा एंपायर : टाटा ग्रुप

Bhaskar Hindi
Update: 2017-08-18 06:36 GMT
एक अपमान ने खड़ा किया इतना बड़ा एंपायर : टाटा ग्रुप

डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। भारत में नमक से लेकर ट्रक बनाने वाला टाटा ग्रुप एक बड़ा ब्रांड बन चुका है। 1868 में एक ट्रेडिंग फर्म से शुरू हुए टाटा ग्रुप में आज 93 कंपनियां हैं। वहीं, शेयर बाजार में लिस्टेड टाटा ग्रुप की 29 कंपनियों के पास बीएसई में 7 फीसदी हिस्सेदारी है। इसके अलावा पूरी दुनियाभर में इसके 6,95,699 कर्मचारी हैं।  

एक अपमान ने खड़ा किया इतना बड़ा एंपायर
19वीं सदी के अंत में जमशेद जी टाटा, एक बार मुंबई के सबसे महंगे होटल में गए। लेकिन उनके रंग के चलते उन्हें होटल से बाहर जाने को कहा गया। उसी ही समय जमशेद जी टाटा ने तय किया कि वे भारतीयों के लिए इससे बेहतर होटल बनाएंगे और 1903 में मुंबई के समुद्र तट पर ताज महल पैलेस होटल बनाकर उन्होंने तैयार कर दिया। यह मुंबई की पहली ऐसी इमारत थी। जिसमें बिजली थी, अमेरिकी पंखे लगाए गए थे, जर्मन लिफ्ट मौजूद थी और अंग्रेज खानसामा भी थे। 

8.5 लाख करोड़ का बिजनेस एंपायर का सफर
टाटा ग्रुप की वेबसाइट के मुताबिक 1868 में एक ट्रेडिंग फर्म से शुरू हुए टाटा ग्रुप ने देश को पहली बड़ी स्टील कंपनी, पहला लग्जरी होटल, पहली देसी कंज्यूमर गुड्स कंपनी दी। टाटा ग्रुप ने ही देश की पहली एविएशन कंपनी टाटा एयरलाइंस की शुरुआत की थी, जो बाद में एयर इंडिया हो गई। आजादी से पहले ही देश को टाटा मोटर्स के ट्रक मिलने लगे थे। फिलहाल टाटा ग्रुप की कंपनियों की कुल वैल्युएशन 8.45 लाख करोड़ रुपए है।

रतन टाटा ने पहुचांया ऊंचाईयों के शिखर पर
1991 में उदारीकरण के दौर में रतन टाटा को इस ग्रुप का कामकाज सौंपा गया। और रतन टाटा ने दुनिया भर में अपने पांव पसारने शुरू कर दिए। टाटा ग्रुप ने "टेटली टी" का अधिग्रहण किया। इसके अलावा, इन्श्योरेंस कंपनी एआईजी के साथ उन्होंने बॉस्टन में ज्वाइंट वेंचर करके इन्श्योरेंस कंपनी शुरू की। उन्होंने यूरोप की कोरस स्टील और जेएलआर का भी अधिग्रहण किया। 

रतन टाटा की मेहनत और बड़े बदलाव ने बदली कंपनी की किस्मत
ग्रुप का हेड बनने के बाद रतन टाटा ने मैनेजमेंट के पुराने रूल्स में बड़े बदलाव किए। उन्होंने कहा कि ग्रुप को एक दिशा की जरूरत है और ग्रुप की व्यवस्था सेंट्रलाइज्ड होनी चाहिए। इस प्रकार उन्होंने सेंट्रल फंक्शनिंग की शुरुआत की रतन टाटा ने सबसे पहले ग्रुप कंपनियों में टाटा संस की हिस्सेदारी बढ़ाकर कम से कम 26 फीसदी करने पर जोर दिया। उनके सामने दूसरी जिम्मेदारी अपने इतने बड़े ग्रुप में जोश भरने और एक दिशा देने की थी। इसलिए उन्होंने ऐसे बिजनेस से निकलने का फैसला किया, जिनका बाकी ग्रुप के साथ तालमेल नहीं था।

ग्रुप ने बेचे कई बिजनेस
सीमेंट कंपनी एसीसी, कॉस्मेटिक्स कंपनी लैक्मे और टेक्सटाइल बिजनेस बेच दिया गया। करीब 175 सब्सिडियरी कंपनियों पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए रतन टाटा ने ग्रुप कंपनियों से रॉयल्टी लेनी शुरू कर दी। लगभग 1 फीसदी की यह रॉयल्टी टाटा नाम का इस्तेमाल करने के लिए होल्डिंग कंपनी टाटा संस को दी जाती है। चेयरमैन बनने के बाद रतन टाटा के शुरुआती कुछ साल तो एक तरह से ग्रुप की रिस्ट्रक्चरिंग में ही निकल गए। लेकिन उसके बाद उन्होंने ऐसे कई बड़े काम किए, जिनसे ग्रुप की दिशा ही बदल गई।

दुनिया के हर कोने में है टाटा की छाप 
रतन टाटा ने कारोबार चाय से लेकर आईटी तक हर जगह फैला दिया है।  2009 में रतन टाटा का एक बड़ा सपना तब पूरा हुआ, जब कंपनी ने सबसे सस्ती कार- नैनो को बाजार में उतारा, कार की कीमत थी एक लाख रुपए। हालांकि यह कार बाजार में चल नहीं पाई 
 

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