FY19 में LIC के निवेश पोर्टफोलियो पर घटी यील्ड, 8 साल के निचले स्तर 7.59% पर पहुंची

FY19 में LIC के निवेश पोर्टफोलियो पर घटी यील्ड, 8 साल के निचले स्तर 7.59% पर पहुंची

Bhaskar Hindi
Update: 2019-12-27 13:06 GMT
FY19 में LIC के निवेश पोर्टफोलियो पर घटी यील्ड, 8 साल के निचले स्तर 7.59% पर पहुंची

डिजिटल डेस्क, मुंबई। खराब इंडस्ट्रियल ग्रोथ और बॉन्ड यील्ड के साथ-साथ ब्याज दरों में गिरावट का दबाव भारतीय जीवन बीमा निगम के निवेश पोर्टफोलियो पर पड़ने लगा है। वित्त वर्ष 2019 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, LIC के निवेश पोर्टफोलियो की यील्ड 2018-19 के दौरान आठ साल के निचले स्तर 7.59 प्रतिशत पर पहुंच गई। ये साल दर साल की तुलना में 12 आधार अंक कम है।

इसका नतीजा यह हुआ कि एलआईसी और 10 वर्षीय सरकारी बॉन्ड के यील्ड का स्प्रेड फाइनेंशियल ईयर 2019 में पांच साल में सबसे कम 23 आधार अंक रह गया। पिछले साल यह 31 आधार अंक था। आंकड़ों से पता चलता है कि यील्ड में गिरावट मोटे तौर पर बीमा कंपनियों के निवेश पोर्टफोलियो में ग्रोथ की तुलना में इन्वेस्टमेंट से होने वाली नेट इनकम में धीमी ग्रोथ के कारण है।

वित्त वर्ष 19 में 29.3 ट्रिलियन के निवेश पोर्टफोलियो में नेट इन्वेस्टमेंट इनकम 2.2 ट्रिलियन रुपये थी। पिछले पांच वर्षों में, एलआईसी का निवेश पोर्टफोलियो वित्त वर्ष 2014 में 16.8 करोड़ रुपये से 12.8 प्रतिशत के कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (सीएजीआर) से बढ़कर पिछले वित्त वर्ष में 29.3 ट्रिलियन रुपये हो गया है। इसी अवधि में निवेश पर कॉर्पोरेशन इनकम 9.3 फीसदी सीएजीआर से बढ़ी और वित्त वर्ष 2014 के 1.43 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर पिछले वित्त वर्ष में यह 2.22 लाख करोड़ रुपये हो गई।

एलआईसी ज्यादातर भारत सरकार, राज्य सरकारों और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के जारी लॉन्ग-टर्म डेब्ट जैसे निश्चित आय वाले साधनों में निवेश करता है। विश्लेषकों का कहना है कि 10 साल के सरकारी बॉन्ड की यील्ड में होने वाले उतार-चढ़ाव पर एलआईसी का फिक्सड इनकम पोर्टफोलियो निर्भर करता है। एलआईसी के पोर्टफोलियो के रिटर्न में देखी जा रही हालिया गिरावट इसी वजह से है। एलआईसी की सालाना रिपोर्ट के अनुसार उसके पोर्टफोलियो में शेयरों की हिस्सेदारी काफी कम है।

केआर चोकसी इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के मैनेजिंग डायरेक्टर देवेन चोकसी ने कहा कि इक्विटी में निवेश बढ़ाने से एलआईसी को बेहतर रिटर्न हासिल करने में मदद मिल सकती है। हालांकि एलआईसी जैसे बड़े संस्थागत निवेशकों को इसमें कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ता है जबकि छोटे निवेशकों के साथ ऐसा नहीं है।

कई लिस्टेड कंपनियों के पास कैपिटल बेस उतना नहीं होता है जो एलआईसी के बड़े निवेश को आकर्षित कर सकें। बता दें कि एलआईसी को फिक्सड इनकम सिक्योरिटी और इक्विटी बाजार में देश का सबसे बड़ा निवेशक माना जाता है। 

Tags:    

Similar News