अब नक्सलग्रस्त गांव कचकल में नहीं बिकेगी शराब
महिलाओं ने शराब बिक्री पर पाबंदी लगाने कसी कमर
डिजिटल डेस्क, धानोरा (गड़चिरोली)। आदिवासी समाज के विभिन्न धार्मिक, सामाजिक और घरेलू कार्यक्रमों में शराब का सेवन किया जाता है। इसके लिए आदिवासी ग्रामीण अपने घरों में ही शराब बनाते हैं। घर में आसानी से शराब मिलने के कारण अब युवा भी शराब के आदी होने लगे हैं। इस गंभीर समस्या को देखते हुए तहसील के नक्सल प्रभावित कचकल गांव के नागरिकों ने गांव में पूरी तरह शराब बंदी करने का फैसला लिया है । मुक्तिपथ अभियान द्वारा किए गए जनजागरण के बाद गांव की महिलाओं ने शराब बंदी के लिए कमर कस ली है। इतना ही नहीं गांव के नागरिकों ने अब अपने घरों में भी कार्यक्रमों के लिए शराब तैयार नहीं करने का निर्णय लिया है।
मुक्तिपथ अभियान की ओर से कचकल गांव में विशेष ग्रामसभा का आयोजन किया गया। इस ग्रामसभा में मुक्तिपथ के तहसील संगठक अक्षय पेद्दीवार ने शराब से हो रहे नुकसान के बारे में लोगों में जनजागरण किया। गांव के सभी घरों में आसानी से शराब मिलने के कारण अन्य गांवों के नागरिक यहां पहुंचकर गांव की कानून-व्यवस्था भंग करने लगे हैं, जिससे ग्रामीणों को ही परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस समस्या से नागरिकों को अवगत कराने और शराब से हा रहे नुकसान के बारे में जानकारी देने के बाद नागरिकों ने सामूहिक तौर पर गांव में शराब बंदी करने का फैसला लिया है। गांव की महिलाओं ने शराब बंदी के लिए कमर कसते हुए अब गांव में शराब की बिक्री हुई तो संबंधित के खिलाफ कार्रवाई करने की चेतावनी भी दी है। ग्रामसभा के दौरान महिलाओं और नागरिकों ने सामूहिक रूप से शराब बंदी का प्रस्ताव पारित किया। साथ ही शराब की अवैध बिक्री के खिलाफ आवाज उठाने का निर्णय भी इस समय लिया गया। ग्रामसभा में गांव की महिलाएं और अन्य नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित थे।