जबलपुर: पहले आईडी रजिस्ट्रेशन, फिर आ रहा ओपीडी नंबर, सर्वर डाउन हुआ तो और बढ़ी मुसीबत

  • मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल में नई व्यवस्था
  • ओपीडी में आए मरीजों के लिए आभा पंजीयन शुरू
  • रजिस्ट्रेशन से पहले आभा पंजीयन कराने की अनिवार्यता के चलते मरीजों की लंबी कतारें नजर आ रही हैं

Safal Upadhyay
Update: 2024-05-01 09:27 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट (आभा आईडी) सर्विस की शुरुआत जिले में कुछ शासकीय अस्पतालों से हो गई है, लेकिन जागरूकता के अभाव में यह सुविधा मरीजों के लिए ही परेशानी का सबब बन रही है।

आभा पंजीयन के लिए एंड्राॅयड मोबाइल की अनिवार्यता, अस्पताल में सीमित संसाधन, लोगों को जानकारी न होने समेत कई तरह की विसंगतियाँ सामने आ रही हैं। हालाँकि अधिकारियों का कहना है कि आभा पंजीयन मरीजों के हित में है। अभी यह शुरुआती दौर में है इसलिए कुछ दिक्कतें सामने आ रही हैं।

जिन्हें दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। संभाग के सबसे बड़े अस्पताल नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में रोजाना की ओपीडी 2 हजार मरीजों की है। ऐसे में ओपीडी रजिस्ट्रेशन से पहले आभा पंजीयन कराने की अनिवार्यता के चलते मरीजों की लंबी कतारें नजर आ रही हैं। मंगलवार को सर्वर डाउन होने से मरीजों को समस्या हुई।

3-4 दिन पहले हुई शुरुआत, एक दिन में सबसे ज्यादा पंजीयन

नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक डॉ. अरविंद शर्मा ने बताया कि आभा पंजीयन राष्ट्रीय स्तर पर हो रहा है। मेडिकल अस्पताल मंे भी इसकी शुरुआत 3-4 दिन पहले ही हुई है।

सोमवार को प्रदेश में सबसे ज्यादा करीब 800 पंजीयन मेडिकल अस्पताल में ही हुए थे। एप आधारित ओपीडी पंजीयन होना है, जिसके लिए जरूरी संसाधन लगाए जा रहे हैं। नई चीज शुरू होती है तो थाेड़ा समय लगता है और समस्याएँ भी आती हैं। मंगलवार को कुछ देर के लिए सर्वर डाउन हुआ था। जिसका फीडबैक शीर्ष स्तर के अधिकारियों को दिया गया है।

टोकन नंबर बताने लगेगा डिस्प्ले, मिली ट्रेनिंग

अधीक्षक डॉ. शर्मा ने बताया कि मरीजों को जागरूक करने माइक सिस्टम लग रहा है। टोकन नंबर और पेशेंट का नाम बताने के लिए बड़ा डिस्प्ले भी लग रहा है। कम्प्यूटर ऑपरेटर्स को ट्रेनिंग दी जा चुकी है। शासन द्वारा मरीजों को जागरूक करने 2 वर्कर भी भेजे जा रहे हैं। कैंपस में विभिन्न जगहों पर आभा पंजीयन की जानकारी देने डिजिटल वीडियो डिस्प्ले भी लगा दिए गए हैं।

बड़े अस्पतालों में हो गई शुरुआत

डॉ. संजय मिश्रा ने बताया कि यह एक नया प्रकल्प है। प्रदेश के कुछ बड़े अस्पतालों में इसकी शुरुआत पहले ही हो चुकी है। आभा पंजीयन को लेकर कुछ समस्याएँ हैं, जिन्हें दूर किया जा रहा है। शीर्ष अधिकारियों को फीडबैक भेजा गया है। जिला अस्पताल में भी इसकी शुरुआत हो गई है।

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