जबलपुर: प्लास्टर ऑफ पेरिस की बनी प्रतिमाओं से बनाएँ दूरी, क्योंकि पर्यावरण के लिए यह है जरूरी

प्रशासनिक सख्ती के साथ जागरूकता कार्यक्रम करने की आवश्यकता, व्यापारी भी करें पहल

Safal Upadhyay
Update: 2023-09-14 09:58 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर।

प्लास्टर ऑफ पेरिस की प्रतिमाओं के विक्रय और निर्माण पर प्रतिबंध भले ही लगा है, इसके बाद भी प्रतिमाओं की बिक्री प्रतिवर्ष हो रही है। इसे रोकने के लिए प्रशासनिक सख्ती के साथ जागरूकता जरूरी है। इसके लिए व्यापारियों को खुद आगे आकर पहल करनी होगी। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का दावा है कि शहर में पीओपी की प्रतिमाओं का निर्माण नहीं होता है। वहीं अधिकारी यह भी कह रहे हैं कि पीओपी की प्रतिमाएँ बाहर से आती हैं। ऐसे में यदि सख्ती नहीं बरती गई तो इस वर्ष भी बड़ी संख्या में पीओपी की प्रतिमाएँ बाजार में पहुँच जाएँगी।

घर में कर सकते हैं विसर्जित

प्रशासन ने नदी व तालाबों में प्रतिमाओं के विसर्जन पर रोक लगा रखी है। प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए कुंड बनाए गए हैं। इसके बाद भी बड़ी संख्या में लोग नदी और तालाबों में प्रतिमाएँ विसर्जित करते हैं। पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि पानी में पीओपी डिजाॅल्व नहीं होता। इसकी फिनिशिंग में लगने वाले कैमिकल पानी काे विषैला बना देते हैं। इसलिए लोगों को केवल मिट्टी से बनी प्रतिमाएँ ही रखनी चाहिए, क्योंकि इन प्रतिमाओं को घर पर ही टैंक में विसर्जित किया जा सकता है।

जागरूकता लाने उठा रहे कदम

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी आलोक जैन कहते हैं िक पीओपी की प्रतिमाओं का उपयोग न किया जाए, इसके लिए विभाग द्वारा आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। अधिकारी फील्ड पर जाकर लोगों को व व्यापारियों को समझाइश दे रहे हैं। इसके अलावा संगोष्ठी व कार्यशाला के माध्यम से लोगों को प्लास्टर ऑफ पेरिस से होने वाले नुकसान के बारे में बताया जा रहा है।

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