बदलाव: सामाजिक न्याय के लिए रद्द हो आरटीई में किए गए बदलाव, शिक्षा मंत्री केसरकर को पत्र लिखकर मांग

अमित ठाकरे ने शिक्षा मंत्री केसरकर को पत्र लिखकर की मांग

Tejinder Singh
Update: 2024-05-02 16:19 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई. शिक्षा का अधिकार कानून के तहत निजी स्कूलों की 25 फीसदी सीटों पर आर्थिक रुप से कमजोर विद्यार्थियों को दाखिला देने के नियम में बदलाव के राज्य सरकार के फैसले पर अब महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने नाराजगी जताई है। महाराष्ट्र विद्यार्थी सेना के अध्यक्ष अमित ठाकरे ने स्कूली शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर को पत्र लिखकर सरकार द्वारा किए गए बदलाव को वापस लेने की मांग की है। उन्होने लिखा है सामाजिक न्याय के लिए जरूरी है कि सरकार गरीब परिवारों के बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला देने से जुड़ा नियम फिर लागू करे। दरअसल राज्य सरकार ने इस साल से नियम बदल दिए हैं जिसके बाद घर से एक किलोमीटर के दायरे में सरकारी स्कूल होने पर विद्यार्थी को वहीं दाखिला लेना पड़ेगा। सरकारी स्कूल में सीट भरने के बाद ही निजी स्कूल के लिए आवेदन किए जा सकते हैं। इसी का असर है कि 8 लाख 86 हजार से ज्यादा सीटों के लिए सिर्फ 65 हजार आवेदन आए हैं।

अमित ठाकरे ने अपने पत्र में लिखा है कि साल 2011 से निजी स्कूलों में आर्थिक रुप से कमजोर विद्यार्थियों को मुफ्त में दाखिला मिल रहा था। इससे अमीर गरीब के बीच खाईं दूर हो रही थी लेकिन सरकार ने अचानक नियम बदलने का फैसला किया है। उन्होंने सवाल किया कि सरकारी स्कूलों में तो वैसे ही विद्यार्थियों को मुफ्त शिक्षा मिलती है अभिभावक आरटीई के तहत इसके लिए आवेदन क्यों करेंगे। इस बदलाव के जरिए राज्य सरकार क्या हासिल करना चाहती है क्या इस बदलाव को राज्य सरकार का फतवा मान लिया जाए कि अमीरों के बच्चे निजी स्कूलों में और गरीबों के बच्चे सिर्फ सरकारी स्कूल में पढ़ेंगे। अमित ठाकरे ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 254 के तहत केंद्र सरकार के कानून में राज्य सरकार बदलाव नहीं कर सकती लेकिन सरकार ने इसे नजरअंदाज कर दिया। अमित ठाकरे ने आरटीई के तहत गरीब परिवारों के बच्चों को दाखिला देने वाले स्कूलों को 2400 करोड़ रुपए का भुगतान न होने पर भी सवाल उठाए।

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