अदालत: कुणबी प्रमाण पत्र देने के खिलाफ दायर याचिका पर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब

कुणबी प्रमाण पत्र देने के खिलाफ दायर याचिका पर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब
  • जनहित याचिका में सरकार समेत सभी पक्षों को जारी किया नोटिस
  • दायर याचिका पर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब
  • ठेकेदार कंपनियों ने बीएमसी के कर भुगतान की अंतिम नोटिस को दी है चुनौती

डिजिटल डेस्क, मुंबई. हाई कोर्ट ने मराठा समाज को कुणबी जाति का प्रमाणपत्र जारी करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार के अलावा मामले से जुड़े सभी पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ के समक्ष गुरुवार को ओबीसी वेलफेयर फाउंडेशन के अध्यक्ष मंगेश ससाने के वकील आशीष मिश्रा द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के वकील गोपाल शंकर नारायण ने मराठा समाज को दिए जा रहे कुणबी जाति के प्रमाण पत्र पर रोक लगाने का अनुरोध किया। आरोप है कि इस आधार पर मराठा समाज को ओबीसी आरक्षण में शामिल किया जा रहा है। यह ओबीसी आरक्षण को समाप्त करने का भी एक प्रयास है। इस दौरान राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता डा. बीरेंद्र सराफ पेश हुए। इस मामले की अगली सुनवाई 27 जून को रखी गई है। खंडपीठ ने इस मामले में हस्तक्षेप याचिका दायर करने वाले 4 याचिकाकर्ता को सभी याचिका की प्रति देने का निर्देश दिया है।

बीएमसी से 4 मेट्रो ठेकेदार कंपनियों को 370 करोड़ की संपत्ति कर का भुगतान के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट से 20 जून तक अंतरिम राहत बरकरार

इसके अलावा मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एमएमआरसीएल) के चार ठेकेदार कंपनियों को मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के 370 करोड़ रुपए की संपत्ति कर के भुगतान की नोटिस पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने 20 जून तक अंतरिम राहत बरकरार रखा है। पिछले दिनों अदालत ने बीएमसी के वडाला में कास्टिंग यार्ड के रूप में एक भूखंड का उपयोग करने के लिए 370 करोड़ रुपए का संपत्ति कर का भुगतान करने को लेकर जारी अंतिम नोटिस पर रोक लगा दिया था। न्यायमूर्ति एम.एस.कर्णिक और न्यायमूर्ति कमल खाता की खंडपीठ के समक्ष मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के चार ठेकेदार कंपनियों की ओर से वकील प्रेरक चौधरी की दायर याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में बीएमसी की ओर से याचिकाकर्ताओं को 370 करोड़ रुपए की संपत्ति कर का भुगतान करने को लेकर जारी अंतिम नोटिस को चुनौती दी है और बीएमसी के संपत्ति कर में छूट का अनुरोध किया गया है। बीएमसी के अतिरिक्त आयुक्त (शहर) अश्विनी जोशी इस साल 27 मार्च को मौखिक आदेश पारित किया था, जिसमें ठेकेदार कंपनियों को संपत्ति कर का भुगतान करने के लिए कहा गया था। इन कंपनियों में डोगस सोमा जेवी को 27 करोड़ 75 लाख रुपए और जुर्माना 66 करोड़ 64 करोड़ रुपए की संपत्ति कर का भुगतान करने के लिए कहा गया था। इसी तरह एचसीसी-एमएमएस जेवी को 26 करोड़ 8 लाख रुपए कर एवं 72 करोड़ 85 लाख रुपए जुर्माना और सीईसी-आईटीडी (कॉन्टिनेंटल आईटीडी सीमेंटेशन टाटा प्रोजेक्ट्स जेवी) को 67 करोड़ 41 लाख रुपए कर और 28 करोड़ 18 लाख रुपए जुर्माने का भुगतान करने के लिए बीएमसी द्वारा नोटिस जारी किया है। इन कंपनियों के अलावा एलएंडटी ने भी हाई कोर्ट में याचिका दायर किया गया है। अदालत ने इस मामले में अगली सुनवाई 20 जून तक बीएमसी की दंडात्मक कार्रवाई रोक दिया है।

Created On :   2 May 2024 4:11 PM GMT

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