बॉम्बे हाई कोर्ट: दिव्यांग बच्चों के गृह में न्यू ईयर पार्टी करने वालों के खिलाफ 11 साल बाद भी कार्रवाई नहीं- राज्य सरकार को फटकार

दिव्यांग बच्चों के गृह में न्यू ईयर पार्टी करने वालों के खिलाफ 11 साल बाद भी कार्रवाई नहीं- राज्य सरकार को फटकार
  • चिल्ड्रन एड सोसायटी (सीएएस) और चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सीडब्ल्यूसी) के अधिकारियों के खिलाफ पर 'न्यू ईयर पार्टी' करने का आरोप
  • मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों के लिए बने गृह में 20 मानसिक रूप से दिव्यांग लड़कियों को कम कपड़ों में डांसरों के साथ नाचने के लिए किया गया था मजबूर

Mumbai News. बॉम्बे हाई कोर्ट ने दिव्यांग बच्चों के गृह में 2012 के 'न्यू ईयर पार्टी' करने वालों के खिलाफ 11 साल बाद भी कोई कार्रवाई नहीं करने के लिए राज्य सरकार को फटकार लगाई। अदालत ने कहा कि उन्हें खुद पर 'शर्म' आनी चाहिए। वे 11 साल बाद भी यह नहीं बता पाए कि क्या उन्होंने दिसंबर 2012 में चौंकाने वाली न्यू ईयर पार्टी के लिए चिल्ड्रन एंड सोसाइटी (सीएएस) और चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सीडब्ल्यूसी) के अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई की? इस पार्टी में मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों के लिए मानखुर्द में बने गृह में 20 मानसिक रूप से दिव्यांग लड़कियों को 'कम कपड़ों में' डांसरों के साथ नाचने के लिए मजबूर किया गया था।

मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की पीठ ने कहा कि हम जनहित याचिका का निपटारा करते हैं, जिसमें 31 दिसंबर 2012 की घटना की गहन जांच की मांग की गई है, जिसमें कथित तौर पर शराब परोसी गई थी और उस गृह में अर्धनग्न लड़कियां नाच रही थीं। पीठ ने टिप्पणी कि यदि कोई कार्रवाई नहीं की जाती है और यदि आप इस अदालत में कहते हैं कि आप के मामले में क्या हुआ है, इसकी जांच करनी होगी, तो आपको अपने अधिकारियों और खुद पर शर्म आनी चाहिए। क्या आप ऐसे संवेदनशील मामलों में ऐसा करते हैं। यह एक जनहित याचिका है, जिसमें जनहित शामिल है।

पीठ ने शारीरिक दिव्यांग व्यक्तियों के आयुक्त को घटना की जांच शुरू करने का निर्देश जारी किया। पीठ ने आदेश दिया कि यह ध्यान देने योग्य है कि सीडब्ल्यूसी के अध्यक्ष और बाल एवं महिला कल्याण समिति के अध्यक्ष ने भी घटना की जांच की थी, फिर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। हमें यह देखकर आश्चर्य हो रहा है, क्योंकि यह जनहित याचिका पिछले 11 वर्षों से लंबित है। इसलिए शारीरिक दिव्यांग व्यक्तियों के आयुक्त को घटना की नए सिरे से जांच करने का निर्देश दिया जाता है। वह छह सप्ताह के भीतर जांच करेंगे और इसकी रिपोर्ट हाईकोर्ट की रजिस्ट्री को सौंपी जाएगी।

Created On :   16 Jun 2025 9:59 PM IST

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