नागपुर: आरटीई प्रवेश के लिए स्कूल रजिस्ट्रेशन शुरू, स्कूलों को कराना होगा रजिस्ट्रेशन

  • 18 मार्च तक स्कूलों को कराना होगा रजिस्ट्रेशन
  • इससे पहले गैरअनुदानित स्कूलों में प्रवेश
  • सरकारी स्कूल में पढ़ाने की मानसिकता नहीं

Tejinder Singh
Update: 2024-03-10 09:01 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर. आरटीई के माध्यम से गरीब विद्यार्थियों को गैरअनुदानित स्कूलों में प्रवेश देने की पद्धति में बदलाव किया गया है। अब गैरअनुदानित स्कूलों के साथ ही सरकारी व अनुदानित स्कूलों में आरटीई सीटें आरक्षित की जाएंगी। आरटीई प्रवेश के लिए स्कूलों के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। 18 मार्च रजिस्ट्रेशन की अंतिम तिथि है। सरकारी तथा अनुदानित स्कूलों को आरटीई प्रवेश प्रक्रिया केे दायरे में लाने से रजिस्ट्रेशन के लिए 3,834 स्कूल पात्र बताए जाते हैं। स्कूलों की संख्या बढ़ने के साथ ही आरक्षित सीटें भी बढ़ेंगी, लेकिन प्रवेश घटने की आशंका है।

इससे पहले गैरअनुदानित स्कूलों में प्रवेश

आरटीई प्रवेश प्रक्रिया में गत वर्ष 652 स्कूलों ने रजिस्ट्रेशन कराया था। 6 हजार से अधिक सीटें आरक्षित की गई थीं। आरटीई प्रवेश प्रक्रिया में केवल गैरअनुदानित स्कूल थे। विद्यार्थी, घर से 3 किमी के दायरे में आने वाले स्कूल में प्रवेश के लिए पात्र थे।

अब सरकारी स्कूलों को प्राथमिकता

राज्य सरकार ने आरटीई प्रवेश के नियम बदल दिए हैं। सरकारी स्कूलों को प्राथमिकता दी गई है। जिला परिषद, मनपा, नगर परिषद, नगर पालिका, पूर्व शासकीय, कन्टोनमेंट बोर्ड के स्कूल, अनुदानित स्कूल तथा गैरअनुदानित स्वयंअर्थसहाय स्कूलों की सीटें आरटीई प्रवेश के लिए आरक्षित की जाएंगी। सरकारी स्कूल से 3 किमी के दायरे में आने वाले गैरअनुदानित तथा अल्पसंख्यक दर्जे के स्कूलों को आरटीई प्रवेश से मुक्त रखा गया है। यानी गैरअनुदानित स्कूल से विद्यार्थी 3 किमी के दायरे में रहता है, और उसी अंतर पर सरकारी स्कूल है, तो उसे प्राथमिकता दी जाएगी। पालक को चाहकर भी गैरअनुदानित स्कूल में आरटीई प्रवेश नहीं मिलेगा।

सरकारी स्कूल में पढ़ाने की मानसिकता नहीं

आज के दौर में हर कोई पालक अपने बच्चों को इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ाना चाहता है। अच्छी शैक्षणिक गुणवत्ता के अधिकांश स्कूल गैरअनुदानित यानी स्वयंअर्थसहाय हैं। अधिकांश सरकारी तथा अनुदानित स्कूल मराठी, हिंदी, उर्दू मीडियम के हैं। गिने-चुने इंग्लिश मीडियम स्कूल खुले हैं, लेकिन शैक्षणिक गुणवत्ता बेहतर नहीं है, इसलिए बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाने की पालकों की मासनिकता नहीं है।

गरीब विद्यार्थी अच्छी शिक्षा से बेदखल

नामी स्कूलों की फीस ज्यादा होने से गरीब विद्यार्थी प्रवेश नहीं ले पाते थे। आरटीई के माध्यम से ऐसे स्कूलों में गरीब विद्यार्थियों के प्रवेश का रास्ता साफ हो गया था। अब सरकारी स्कूलों को आरटीई प्रवेश के दायरे में लाकर गरीब विद्यार्थियों को अच्छी शिक्षा से बेदखल किया गया है।

खाली रह जाएंगी आरक्षित सीटें

जानकारों का मानना है कि, जिला परिषद, मनपा, नगर परिषद, नगर पालिका, पूर्व सरकारी तथा अनुदानित स्कूलों में आसानी से प्रवेश मिल जाता है। वहां आरटीई के माध्यम से जाने की कोई आवश्यकता नहीं है। आरटीई के माध्यम से इंग्लिश मीडियम के नामी स्कूल में प्रवेश नहीं मिलने पर सरकारी स्कूलों में आरक्षित सीटें खाली रह जाएंगी। सरकार ने आरटीई प्रवेश प्रक्रिया में बदलाव कर स्कूलों की संख्या बढ़ाई है, लेकिन प्रवेश अपने-आप घट जाएंगे।

प्रवेश से पहले जान लें मान्यता है या नहीं

चालू शैक्षणिक सत्र समाप्त होने की कगार पर है। अगले शैक्षणिक सत्र के लिए बच्चों को एडमिशन दिलाने की दौड़-धूप शुरू हो गई है। बाहरी दिखावे पर विश्वास कर एडमिशन लेने से पहले स्कूल को सरकार की मान्यता है भी या नहीं, यह जानने के बाद ही प्रवेश लेने के लिए कदम आगे बढ़ाने का आह्वान शिक्षणाधिकारी रोहिणी कुंभार ने पालकों से किया है। जिले में अनधिकृत स्कूलों का जाल फैला है। शिक्षा विभाग ने सख्त कदम उठाकर कुछ स्कूल बंद किए। शिक्षा विभाग को झांसा देकर अभी भी कुछ स्कूल चल रहे हैं। ऐसे स्कूलों से सावधान रहें। किसी भी स्कूल में प्रवेश लेने से पहले स्कूल की सरकारी मान्यता, किस बोर्ड से संलग्न है आदि जानने के बाद ही प्रवेश लेने का फैसला करें। शिक्षणाधिकारी कुंभार ने बताया कि, अनधिकृत स्कूलों के खिलाफ शिक्षा विभाग ने पुलिस में गुनाह दर्ज किए। बावजूद कुछ शिक्षण संस्थाएं बाज नहीं आ रही है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 का उल्लंघन कर बालकों के भविष्य के साथ खेल खेला जा रहा है। अपने बच्चों के भविष्य की चिंता अब पालकों को करनी जरूरी है। सभी क्षेत्रीय अधिकारी, उपशिक्षणाधिकारी, गटशिक्षणाधिकारी, शिक्षण विस्तार अधिकारी, केंद्र प्रमुखों को अनधिकृत स्कूलों की निगरानी कर कार्रवाई करने की सूचना दी गई है। अनधिकृत स्कूल बंद कर सभी प्रशासकीय कार्यवाही करने व उसके बाद भी स्कूल संचालक अपनी हरकत से बाज नहीं आने पर गुनाह दर्ज कराकर पालकों को अवगत कराने के निर्देश दिए हैं।

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