मुद्दा: नागपुर एयरपोर्ट रिनोवेशन मामले की सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई, जीएमआर को सौंपा है एयरपोर्ट

  • चार न्यायाधीशों वाली विशेष पीठ ने किया गौर
  • शीर्ष न्यायालय में खारिज कर दिया था मुद्दा
  • अब सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर टिकी नजर

Anita Peddulwar
Update: 2024-02-10 09:32 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर। उच्चतम न्यायालय अपने उस फैसले के खिलाफ केंद्र और भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण (एएआई) की उपचारात्मक याचिका पर विस्तार से सुनवाई करने पर राजी हो गया, जिसने नागपुर के बाबासाहेब आंबेडकर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के उन्नयन और परिचालन का काम जीएमआर एयरपोर्ट्स द्वारा किए जाने का मार्ग प्रशस्त किया था। प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी. आर. गवई एवं न्यायमूर्ति जे. के. माहेश्वरी की चार न्यायाधीशों वाली विशेष पीठ ने केंद्र और एएआई की इन दलीलों पर गौर किया कि पिछली कार्यवाही के दौरान उनकी बात नहीं सुनी गई थी।

अनुचित करार दिया था : बॉम्बे उच्च न्यायालय ने संयुक्त उद्यम कंपनी ‘मिहान इंडिया लिमिटेड’ द्वारा मार्च 2020 में जारी उस आदेश को रद्द कर दिया था, जिसमें जीएमआर एयरपोर्ट्स को नागपुर के बाबासाहेब आंबेडकर अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे के अद्यतन और परिचालन के लिए मिले कार्य को निरस्त कर दिया गया था। उच्च न्यायालय ने इस आदेश को मनमाना और अनुचित करार दिया था। मिहान इंडिया लिमिटेड, महाराष्ट्र एयरपोर्ट डेवलपमेंट कंपनी और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण का संयुक्त उद्यम है। उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील को शीर्ष अदालत ने 2022 में खारिज कर दिया था।

किया जाए सूचीबद्ध : उच्चतम न्यायालय ने फैसले के खिलाफ पुनरीक्षण याचिका भी खारिज कर दी थी, जिसके बाद केंद्र और एएआई ने उपचारात्मक याचिका दायर की थी तथा दावा किया था कि वे हवाई अड्डे, उसके संचालन और उन्नयन से संबंधित किसी भी विवाद में पक्षकार हैं, क्योंकि यह विषय संविधान की सातवीं अनुसूची की संघ सूची के अंतर्गत आता है। केंद्र और एएआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ‘केंद्र और एएआई की अनुपस्थिति में इस तरह के विवादों की सुनवाई नहीं हो सकती। यह किसी जमीन का साधारण पट्टा नहीं है।’सीजेआई ने कहा कि मामले को विस्तृत सुनवाई के लिए किसी ‘नॉन मिसलेनियस डे’ के लिए सूचीबद्ध किया जाए।


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